- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 769
सँग सँग मेरे कोई रहता है
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे,
क्या कर लेगा अंधेरा,
बहता रग-रग लोहू करता है
सँग-सँग मेरे कोई रहता है
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।स्थापना।।
भेंटूँ जल मण-झारी
हूँ बड़ा भाग-शाली
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।जलं।।
भेंटूँ चन्दन प्याली
हूँ बड़ा भाग-शाली
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।चन्दनं।।
भेंटूँ तण्डुल शाली
हूँ बड़ा भाग-शाली
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।अक्षतं।।
भेंटूँ गुल दिव-क्यारी
हूँ बड़ा भाग-शाली
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।पुष्पं।।
भेंटूँ चरु घृत वाली
हूँ बड़ा भाग-शाली
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।नैवेद्यं।।
भेंटूँ घृत दीवाली
हूँ बड़ा भाग-शाली
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।दीपं।।
भेंटूँ सुगंध न्यारी
हूँ बड़ा भाग-शाली
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।धूपं।।
भेंटूँ फल मनहारी
हूँ बड़ा भाग-शाली
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।फलं।।
भेंटूँ फल फुल-वा’री
हूँ बड़ा भाग-शाली
मैं नहीं हूँ अकेला
मेरे सँग तेरी रोशनी रहे
क्या कर लेगा अंधेरा ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
अँखिंयाँ पा सी जाये ठण्डक,
गुरु जी को निरख
जयमाला
इतना काफी है मुझे
जीने के लिये
चरणों में स्थान दे दो
कुछ नहीं तो, इक मुस्कान दे दो
जीने के लिये, इतना काफी है मुझे
जीने के लिये
वच-सुधा का दान दे दो
जीने के लिये, इतना काफी हैं मुझे
कुछ नहीं तो, इक मुस्कान दे दो
इतना काफी है मुझे
जीने के लिये
चरणों में स्थान दे दो
कुछ नहीं तो, इक मुस्कान दे दो
जीने के लिये, इतना काफी है मुझे
जीने के लिये
आ, द्वार पे पड़गान दे दो
वच-सुधा का दान दे दो
जीने के लिये, इतना काफी हैं मुझे
कुछ नहीं तो, इक मुस्कान दे दो
इतना काफी है मुझे
जीने के लिये
चरणों में स्थान दे दो
कुछ नहीं तो, इक मुस्कान दे दो
जीने के लिये, इतना काफी है मुझे
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
विनन्ती म्हारी,
निकल आये आप से रिश्तेदारी
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