- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 724
=हाईकू=
चूके कहने से दुनिया कब,
आ भी जाओ अब ।।स्थापना।।
सपने सँजों मुक्ति के,
घट जल लाया मुक्ति के ।।जलं।।
सपने सँजों क्षेम के
घड़े गंध लाया प्रेम के ।।चन्दनं।।
सपने सँजों स्वर्ण सुगंधा के,
धाँ लाया श्रद्धा के ।।अक्षतं।।
सपने सँजों शिव गाँव के,
पुष्प लाया भाव के ।।पुष्पं।।
सपने सँजों विदेह के,
व्यंजन लाया स्नेह के ।।नैवेद्यं।।
सपने सँजों प्रज्ञा के,
थाल दीप लाया श्रद्धा के ।।दीपं।।
सपने सँजों सद्ध्याँ के,
घट धूप लाया श्रद्धा के ।।धूपं।।
सपनें सँजों मुनि मुद्रा के
फल लाया श्रद्धा के ।।फलं।।
सपने सँजों जिन दीक्षा के,
द्रव्य लाया श्रृद्धा के ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
अजूबा,
तुम्हें सुई बिना धागे
‘जी’ जोड़ते देखा
।। जयमाला।।
न देर हैं,
‘जि गुरु जी के दर पे,
न अंधेर है,
बस आने की देर है
और बनती बिगड़ी
चल पड़ती बंद घड़ी
जश गाने की देर है
बस आने को देर है
और मिलता सुकून
बाद अंक लगता शून
जश गाने की देर है
बस आने को देर है
और दिखती मंजिल
खुशबू पा जाता गुल
जश गाने की देर है
बस आने को देर है
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
बेशक,
गुरु ने जिसे,
‘अपनाया’
सबने उसे
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