loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 710

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 710

=हाईकू=
करूँ आह्वान मैं कैसे तेरा,
जिया छोटा सा मेरा ।।स्थापना।।

भावी सिद्धों की श्रेणी में आने,
लाये जल चढ़ाने ।।जलं।।

जमीं आठवीं निजी बनाने,
लाये गंध चढ़ाने ।।चन्दनं।।

सिद्ध-शिला पे राज जमाने,
लाये सुधा चढ़ाने ।।अक्षतं।।

शिव बागों में झूमने-गाने,
लाये पुष्प चढ़ाने ।।पुष्पं।।

वापिस कभी न नीचे आने,
लाये चरु चढ़ाने ।।नैवेद्यं।।

बाना संज्ञान-शरीर पाने,
लाये दीप चढ़ाने ।।दीपं।।

अपरिमित सकून पाने,
लाये धूप चढ़ाने ।।धूपं।।

खो औ’गुन,
छू शगुन पाने,
लाये फल चढ़ाने ।।फलं।।

सपना बना अपना पाने,
लाये अर्घ चढ़ाने ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
जो दुखिया को पातीं,
गुरु अँखिंयाँ डबडबातीं

।।जयमाला।।

तेरा दर्शन
तेरा सुमरण
क्षार-क्षार, कण-कण
करता पापों को

निरखना आँगन
तेरा पड़गाहन
खण्ड-खण्ड, कण-कण
करता पापों को

पाद प्रक्षालन
आप रज पाँवन
टूक-टूक कण कण
करता पापों को

तेरा अर्चन
मार्ग दर्शन
तार-तार, कण-कण
करता पापों को
तेरा दर्शन
तेरा सुमरण

।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
दीजिये ‘वर’,
छुऊँ विद्या-सागर
‘जि गुरुवर

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point