- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 710
=हाईकू=
करूँ आह्वान मैं कैसे तेरा,
जिया छोटा सा मेरा ।।स्थापना।।
भावी सिद्धों की श्रेणी में आने,
लाये जल चढ़ाने ।।जलं।।
जमीं आठवीं निजी बनाने,
लाये गंध चढ़ाने ।।चन्दनं।।
सिद्ध-शिला पे राज जमाने,
लाये सुधा चढ़ाने ।।अक्षतं।।
शिव बागों में झूमने-गाने,
लाये पुष्प चढ़ाने ।।पुष्पं।।
वापिस कभी न नीचे आने,
लाये चरु चढ़ाने ।।नैवेद्यं।।
बाना संज्ञान-शरीर पाने,
लाये दीप चढ़ाने ।।दीपं।।
अपरिमित सकून पाने,
लाये धूप चढ़ाने ।।धूपं।।
खो औ’गुन,
छू शगुन पाने,
लाये फल चढ़ाने ।।फलं।।
सपना बना अपना पाने,
लाये अर्घ चढ़ाने ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
जो दुखिया को पातीं,
गुरु अँखिंयाँ डबडबातीं
।।जयमाला।।
तेरा दर्शन
तेरा सुमरण
क्षार-क्षार, कण-कण
करता पापों को
निरखना आँगन
तेरा पड़गाहन
खण्ड-खण्ड, कण-कण
करता पापों को
पाद प्रक्षालन
आप रज पाँवन
टूक-टूक कण कण
करता पापों को
तेरा अर्चन
मार्ग दर्शन
तार-तार, कण-कण
करता पापों को
तेरा दर्शन
तेरा सुमरण
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
दीजिये ‘वर’,
छुऊँ विद्या-सागर
‘जि गुरुवर
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