- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 704
=हाईकू=
राहों पे टिकी नजर,
आ जाईये लेने खबर ।।स्थापना।।
नैन सजल,
चरणों में आपके, चढ़ाऊँ जल ।।जलं।।
कर वन्दन,
चरणों में आपके चर्चूं चन्दन ।।चन्दनं।।
झुका मस्तक,
चरणों में आपके, भेंटूँ अक्षत ।।अक्षतं।।
सूरी श्रमण,
चरणों में आपके, भेंटूँ सुमन ।।पुष्पं।।
श्रद्धा समेत,
चरणों में आपके, भेंटूँ नैवेद ।।नैवेद्यं।।
दे दे-के ताली,
चरणों में आपके, भेंटूँ दीपाली ।।दीपं।।
ले भक्ति अंधी,
चरणों में आपके, भेंटूँ सुगंधी ।।धूपं।।
भाव के बल,
चरणों में आपके, भेंटूँ श्रीफल ।।फलं।।
कुछ अलग,
चरणों में आपके, भेंटूँ अरघ ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
खाली दिमाग खोल,
दें बना गुरु जी अनमाेल
।।जयमाला।।
ख्वाबों में मेरे, तू आता है चला
ख्यालों मे मेरे, तू आता है चला
कभी रूबरू भी तो हुआ कर
ऐसा भी क्या है शिकवा-गिला
आँसू बनके तू आता है चला
रह रह के भर सिसकिंयाँ
अब तो भरने को आया है गला
गम में ढ़ल के तू आता है चला
नहीं जो फुरसत तुझे,
‘पाती’ लिखने की मुझे,
तो लौटती डाक से,
अपनी हिचकिंयाँ ही मेरे नाम कर
क्या तुझे मेरी हिचकिंयों का सन्देशा न मिला
दस्तक बन के तू आता है चला
मैं आशा के भरोसे जिऊँ कब तक भला,
सही इतना ही मुझे आके दे बतला
आँसू बनके तू आता है चला
कभी रूबरू भी तो हुआ कर
ऐसा भी क्या है शिकवा-गिला
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
देने आतुर खड़े,
श्री गुरु से न माँगना पड़े
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