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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 610

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 610

=हाईकू=
आओ,
देवता ओ !
मेरे मन की, खो चंचलता दो ।।स्थापना।।

जीभ चिढ़ाते गम,
त्राहि माम्
नीर चढ़ाते हम ।।जलं।।

आँख दिखाते गम,
त्राहि माम्
गंध चढ़ाते हम ।।चन्दनं।।

हाथ उठाते गम
त्राहि माम्
सुधाँ चढ़ाते हम ।।अक्षतं।।

भ्रूएँ चढ़ाते गम,
त्राहि माम्
पुष्प चढ़ाते हम ।।पुष्पं।।

धोखा खिलाते गम,
त्राहि माम्
चरु चढ़ाते हम ।।नैवेद्यं।।

तम फैलाते गम,
त्राहि माम्
दीप चढ़ाते हम ।।दीपं।।

जाते दबाते गम,
त्राहि माम्
धूप चढ़ाते हम ।।धूपं।।

गुस्सा दिलाते गम,
त्राहि माम्
फल चढ़ाते हम ।।फलं।।

सितम ढ़ातें गम
त्राहि माम्
अर्घ चढ़ाते हम ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
कौन गुरु जी सा अनोखा,
ले तो खा,
पै
न दे धोखा

जयमाला

बाबा
छोटे बाबा
आपका नीचे रखना नजरों का
वाह-वाह
वाह-वाह
आपका धीमे रखना कदमों का

मुस्कुरा के
दिल चुरा के
अय ! आसमानी नूर
ले जाना तलक दूर
दिल चुरा के
मुस्कुरा के

जबाब, लाजबाब रखना प्रश्नों का
वाह-वाह
वाह-वाह
जायका कुछ और आप वचनों का

नजर उठा के
दिल चुरा के
चश्मे बद दूर
अय ! आसमानी नूर
ले जाना तलक दूर
दिल चुरा के
नजर उठा के
मुस्कुरा के

आपका ख्याल रखना अपनों का
वाह-वाह
वाह-वाह
आपका संभाल रखना शिव नौका

अपना के,
अपना बना के,
दिल चुरा के
वंश हंस कोहनूर
अय ! आसमानी नूर
ले जाना तलक दूर
दिल चुरा के
अपना के,
अपना बना के,
नजर उठा के
मुस्कुरा के

।। जयमाला पूर्णार्घं ।। 

=हाईकू=
अरज एक,
अपना लो,
लो बना सहजो-नेक

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