- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 598
हाईकू
लगा, पा लिया भव-कूल,
पा आप चरण धूल ।।स्थापना।।
दृग्-जल पांव धुलाऊॅं,
आज फूला नहीं समाऊँ ।।जलं।।
घिस चन्दन ले आऊॅं,
आज फूला नहीं समाऊँ ।।चन्दनं।।
जी-भर-धान लुटाऊॅं,
आज फूला नहीं समाऊँ ।।अक्षतं।।
श्रद्धा सुमन चढ़ाऊॅं,
आज फूला नहीं समाऊँ ।।पुष्पं।।
छप्पन भोग लगाऊँ,
आज फूला नहीं समाऊँ ।। नैवेद्यं।।
दीप कपूर सजाऊँ
आज फूला नहीं समाऊँ ।।दीपं।।
धूप सुगंध उड़ाऊँ,
आज फूला नहीं समाऊँ ।।धूपं।।
ढेरी श्रीफल भिंटाऊँ
आज फूला नहीं समाऊँ ।।फलं।।
आठों हीं द्रव्य मिलाऊँ,
आज फूला नहीं समाऊँ ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
न भुला देना हमें,
न जी पाऊंगा, तुम बिना मैं
जयमाला
प्यारा सपने सा
कर लीजिये,
‘जि गुरु जी मुझे,
न्यारा अपने सा,
प्यारा सपने सा
आँसु बहाने वाला
दूसरों के लिये,
आगे बढ़ाने वाला
बाहें फैलाने वाला
दूसरों के लिये
राहें दिखाने वाला
खुशियाँ लुटाने वाला
दूसरों के लिये
जाँ-तक गवाने वाला
कर लीजिये,
जि गुरु जी मुझे
न्यारा अपने सा,
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
खुद-सा मुझे लो बना प्रांजल,
मैं समाँ काजल
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