परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 581-हाईकू-
फेबते भाँति भगवान्,
लें ज्यों ही श्री-गुरु मुस्कान ।। स्थापना।।तरेरे आँखें पीर,
नीर भेंटते, भेंटिये धीर ।।जलं।।दिखाये आँखें मान,
गंध भेंटते, भेंटिये ज्ञान ।।चन्दनं।।उठाये आँखें क्रोध,
सुधा भेंटते, भेंटिये बोध ।।अक्षतं।।मिलाये आँखें काम,
पुष्प भेंटते, भेंटिये राम ।।पुष्पं।।लगाये आँखें क्षुधा,
चरु भेंटते, भेंटिये सुधा ।।नैवेद्यं।।जमाये आँखें राग,
दीप भेंटते, भेंटिये जाग ।।दीपं।।गढ़ाये आँखें रोष,
धूप भेंटतें, भेंटिये होश ।।धूपं।।नचाये आँखें माया,
फल भेंटते, भेंटिये छाया ।।फलं।।झुकाये आँखें अघ,
अर्घ भेंटते, भेंटिये मग ।।अर्घ्यं।।-हाईकू-
नजर एक दी आपने क्या डाल,
हुआ निहाल।। जयमाला।।
न जाइये,
‘जि गुरुवर,
फेर के नजर
न जाइयेबिन तिरे,
हम तड़फ जायेंगे
हम न रह पायेंगे
बिन तिरे,जल बिना रह सके मछली क्या ।
पर बिना उड़ सके तितली क्या ।
‘जि बतलाइये
न जाइये,
‘जि गुरुवर,
फेर के नजर
न जाइयेज्योति बिना दीप किस काम का ।
मोती बिन न सीप बस नाम का ।।
‘जि बतलाइये
न जाइये,
‘जि गुरुवर,
फेर के नजर
न जाइयेखूशबू बिना फूल कब कीमती ।
रंग से तितली न बेशकीमती ।।
‘जि बतलाइये
न जाइये,
‘जि गुरुवर,
फेर के नजर
न जाइयेबिन तिरे,
हम तड़फ जायेंगे
हम न रह पायेंगे
बिन तिरे,।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
-हाईकू-
अभी मन न भरा,
उठा नज़र दो फिर जरा
Sharing is caring!