- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 571
=हाईकू=
जिन्दगी पूरी,
बच्चों के लिये माँएँ होतीं जरुरी ।।स्थापना।।
लाया जल के सुनहरे घड़े,
दो मेंट दुखड़े ।।जलं।।
लाया चन्दन घट मुँः तक भरे,
होने विरले ।।चन्दनं।।
लाया अक्षत दाने खिले-खिले,
‘कि सम्यक्त्व मिले ।।अक्षतं।।
लाया पिटार पुष्प-फूटे सुगंध,
हित स्वानन्द ।।पुष्पं।।
लाया नैवेद्य बड़े रसीले,
त्राहि-माम् दृग पनीले ।।नैवेद्यं।।
लाया दीप घी के नीके,
होने भाँति आप सरीखे ।।दीपं।।
लाया अनूप धूप,
मुँह फेर लें ‘कि बहुरूप ।।धूपं।।
लाया श्रीफल, आप जैसे,
‘कि सिर चढ़े न पैसे ।।फलं।।
लाया आठों ही द्रव्य निरे,
‘कि दुख किनारा करें ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
जरूरी गुरु जी,
गोरख धंधे में ‘सी-ए’ सुनो जी
।। जयमाला।।
की रोशनी
था जीवन में मेरे अंधेरा
दी हर खुशी
था तन्हा तन्हा, मैं था अकेला
मैं शुक्रगुजार हूँ तेरा
मैं शुक्रगुजार हूँ तेरा
था दबा बोझ से मैं
तुम चरण सरोज से मैं
जुड़ गया पलक पल क्या
मैं हो गया हूँ हल-का
मैं हो गया हूँ हल्का
मैं शुक्रगुजार हूँ तेरा
था जीवन में मेरे अंधेरा
दी हर खुशी
था तन्हा तन्हा, मैं था अकेला
मैं शुक्रगुजार हूँ तेरा
मैं शुक्रगुजार हूँ तेरा
था राम भरोसे मैं
तुम चरण कमल से मैं
जुड़ गया पल पलक क्या
मेरा चलने लगा है सिक्का
मेरा चलने लगा है सिक्का,
मैं शुक्रगुजार हूँ तेरा.
की रोशनी
था जीवन में मेरे अंधेरा
दी हर खुशी
था तन्हा तन्हा, मैं था अकेला
मैं शुक्रगुजार हूँ तेरा
मैं शुक्रगुजार हूँ तेरा
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
जमीं रहते माँएँ,
छुवा बच्चों को आसमाँ आएँ
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