- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 429
हाईकू
कोई भी लेता मना,
आपको आता ही न रूठना ।।स्थापना।।
भेंटूँ ये जल, ओ ! गरीब नवाज,
राखियो लाज ।।जलं।।
भेंटूँ चन्दन, ओ ! गरीब नवाज,
साधियो काज ।।चन्दनं।।
भेंटूँ ये धाँ, ओ ! गरीब नवाज,
लो सुन आवाज ।।अक्षतं।।
भेंटूँ ये पुष्प, ओ ! गरीब नवाज,
कीजो जाबाज ।।पुष्पं।।
भेंटूँ नैवेद्य, ओ ! गरीब नवाज,
दो छिड़ा साज ।।नैवेद्यं।।
भेंटूँ ये दीप, ओ ! गरीब नवाज,
सँभालूँ आज ।।दीपं।।
भेंटूँ ये धूप, ओ ! गरीब नवाज,
निगलूँ राज ।।धूपं।।
भेंटूँ श्रीफल, ओ ! गरीब नवाज,
लूँ झेल गाज ।।फलं।।
भेंटूँ ये अर्घ्य, ओ ! गरीब नवाज,
रीझे द्यु-ताज ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
थमा धीर दें,
‘अपना गुरु बना’ तकदीर दें
जयमाला
इक दफा तो जाते-जाते, देख लो मुड़ के
फिर भले, जाना है तो, चले जाना उड़ के
कौन है हमारा सिवा तुम्हारे
न रहे ठहर
पल भर भी गुरुवर, आँसू हमारे
वैसे जाया भी जाता नहीं, जोड़ के जुड़ के
इक दफा तो जाते-जाते, देख लो मुड़ के
फिर भले, जाना है तो, चले जाना उड़ के
था रहा मैं चल, घुटनों के बल
बना, काम-बिगड़ा
मैं हो पाया खड़ा, तुम्हारे सहारे
कौन है हमारा सिवा तुम्हारे
न रहे ठहर
पल भर भी गुरुवर, आँसू हमारे
वैसे जाया भी जाता नहीं, जोड़ के जुड़ के
इक दफा तो जाते-जाते, देख लो मुड़ के
फिर भले, जाना है तो, चले जाना उड़ के
था घना अँधेरा
करे धक-धक जी मेरा
अय ! मेरा बागवाँ
मैं छू पाया आसमाँ, तुम्हारे सहारे
कौन है हमारा सिवा तुम्हारे
न रहे ठहर
पल भर भी गुरुवर, आँसू हमारे
वैसे जाया भी जाता नहीं, जोड़ के जुड़ के
इक दफा तो जाते-जाते, देख लो मुड़ के
फिर भले, जाना है तो, चले जाना उड़ के
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
मिलती जिसे गुरु की मुस्कान,
वो एक भागवान्
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