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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 419

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 419

=हाईकू=
करें छिन में, छिन्न-भिन्न विघन,
गुरु भगवन् ।।स्थापना।।

‘सुनते तुम’
न अलसाये पल,
सो भेंटूँ जल ।।जलं।।

‘सुनते तुम’
काँटते बन्धन,
सो भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।।

‘सुनते तुम’
वर्तमाँ सन्मत
सो भेंटूँ अक्षत ।।अक्षतं।।

‘सुनते तुम’
अंक जहां शून,
सो भेंटूँ प्रसून ।।पुष्पं।।

‘सुनते तुम’
पाँव रेख-गज,
सो भेंटूँ नेवज ।।नैवेद्यं।।

‘सुनते तुम’
सीप जिसमें मोती,
सो भेंटूँ ज्योती ।।दीपं।।

‘सुनते तुम’
प्रदाता आनन्द,
सो भेंटूँ सुगंध ।।धूपं।।

‘सुनते तुम’
नयन सजल,
सो भेंटूँ श्रीफल ।।फलं।।

‘सुनते तुम’
अकेले अनघ,
सो भेंटूँ अरघ ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=

गुण रख,
दें बना जीवन, गुरु जी ‘गुडलक’

।। जयमाला।।
आँसूओं में डुबो-डुबो के कलम
हैं लिख रहे पाती तुम्हें हम
रात तुम सपनों में आये
जाग के जब तुमको न पाये
हुये जा रहे हैं तब से मेरे ये नैन नम
हैं लिख रहे पाती तुम्हें हम
आँसूओं में डुबो-डुबो के कलम
हैं लिख रहे पाती तुम्हें हम

हो गई है, बात क्या गुरुवर
जो लेने अब, आते ना खबर

बरसा भी तो दो कृपा, छम छ‌मा-छम छम छम
हैं लिख रहे पाती तुम्हें हम
आँसूओं में डुबो-डुबो के कलम
हैं लिख रहे पाती तुम्हें हम

जा रही न आके याद तेरी
बस यही आखिरी फरियाद मेरी
अबकी दूरी पूरी की पूरी ही, कर भी दो न कम
हैं लिख रहे पाती तुम्हें हम

आँसूओं में डुबो-डुबो के कलम
हैं लिख रहे पाती तुम्हें हम
रात तुम सपनों में आये
जाग के जब तुमको न पाये
हुये जा रहे हैं तब से मेरे ये नैन नम
हैं लिख रहे पाती तुम्हें हम
आँसूओं में डुबो-डुबो के कलम
हैं लिख रहे पाती तुम्हें हम
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

=हाईकू=
भक्तों में मेरी लो कर गणना
दो कर करुणा

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