परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 416=हाईकू=
मुझ माटी को कर दिया दीया,
श्री गुरु शुक्रिया ।।स्थापना।।माफ-गुनाह कराने आये,
जल चढ़ाने लाये ।।जलं।।इंसाफ राह पाने आने,
चन्दन चढ़ाने लाये ।।चन्दनं।।ध्वज शिखर फहराने आये,
धाँ चढ़ाने लाये ।।अक्षतं।।मगर-ध्वज हराने आये,
पुष्प चढ़ाने लाये ।।पुष्पं।।वेदन क्षुधा मिटाने आये,
चरु चढ़ाने लाये ।।नैवेद्यं।।मोह अंधेरा हटाने आये,
दीप चढ़ाने लाये ।।दीपं।।जड़ कर्मों की हिलाने आये,
धूप चढ़ाने लाये ।।धूपं।।फल विमुक्ति पाने आये,
श्रीफल चढ़ाने लाये ।।फलं।।पद-अनर्घ रिझाने आये,
अर्घ चढ़ाने लाये ।।अर्घ्यं।।=हाईकू=
गढ़ते गुरु मूरत
होती बड़ी खूबसूरत।।जयमाला।।
जो तुमने पकड़ी
कुछ हटके हो गई वो अंगुली
फूली नहीं समाती है ।
फूलों सा मुस्कुराती है ।।
वो दूजी ही जादुई छड़ी
कुछ हटके हो गई वो अंगुलीजो तुमने पकड़ी
कुछ हटके हो गई वो अंगुली
हुई मीरा की साथी है ।
गीत प्रेम के गुनगुनाती है ।
अमोल शुभ शगुन घड़ी
कुछ हटके हो गई वो अंगुलीजो तुमने पकड़ी
कुछ हटके हो गई वो अंगुली
खुश इतनी ‘कि रोये जाती है ।
भीतर-भीतर ही खोये जाती है ।
हँसती हँसाती फुल झड़ी
कुछ हटके हो गई वो अंगुलीजो तुमने पकड़ी
कुछ हटके हो गई वो अंगुली
फूली नहीं समाती है ।
फूलों सा मुस्कुराती है ।।
वो दूजी ही जादुई छड़ी
कुछ हटके हो गई वो अंगुली
।।जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
कर इतना एहसान दो,
पाँवों में दे स्थान दो
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