परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 407=हाईकू=
देखूँ पलक न तुझे,
आयें आँसु झलक मुझे ।।स्थापना।।दे कमंडल अपना दो,
दृग्-जल ये अपना लो ।।जलं।।बना नंदन अपना लो,
चन्दन ये अपना लो ।।चन्दनं।।दे पल ध्यान अपना दो,
सुधान ये अपना लो ।।अक्षतं।।भेंट कुटुम अपना दो,
कुसुम ये अपना लो ।।पुष्पं।।दे गंधोदक अपना दो,
मोदक ये अपना लो ।।नैवेद्यं।।दिखा वैभव अपना दो,
दीप लौं ये अपना लो ।।दीप।।दे वक्त चन्द अपना दो,
सुगंध ये अपना लो ।।धूपं।।दे गुरुकुल अपना दो,
श्रीफल ये अपना लो ।।फलं।।दे आशीर्वाद अपना दो,
द्रव्याठ ये अपना लो ।।अर्घ्यं।।==हाईकू ==
आँसु खुशी के बेशुमार तू
आँखों का करार तू।। जयमाला।।
क्या कुछ नहीं दिया है, तूने मुझे
दे ‘दिया’ सब कुछ तो दे दिया है, तूने मुझेअकसर साथ जो दिया है।
रख सर हाथ जो दिया है।
साथिया,
दे दिया
ए दिले दरिया
क्या कुछ नहीं दिया है, तूने मुझे
दे ‘दिया’ सब कुछ तो दे दिया है, तूने मुझेनजर कीनी इक नजर जो
फिकर कीनी अठ पहर जो
आशीर्वाद जो दिया है ।
रख सर हाथ जो दिया है
दे ‘दिया’ सब कुछ तो दे दिया है, तूने मुझेतोहफा मुस्कान है दिया जो
अनोखा मुझे ज्ञान है दिया जो
पाद प्रक्षालन जो दिया है
घर पर पाद प्रक्षालन जो दिया है।
आशीर्वाद जो दिया है
क्या कुछ नहीं दिया है, तूने मुझे
दे ‘दिया’ सब कुछ तो दे दिया है, तूने मुझे।।जयमाला पूर्णार्घं।।
==हाईकू ==
जिनके आँसु न थमें,
ले लो भक्तों में उन हमें
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