परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 405हाईकू
चाँद…
चाँद-सा…
न चाहूँ मैं,
सिर्फ मैं तो, चाहूँ तुम्हें ।।स्थापना।।व्यथा सुनाने आया तुम्हें,
दृग् बिन्दु लिये आँख में ।।जलं।।चलो, मनाने आया तुम्हें,
चन्दन लिये हाथ में ।।चन्दनं।।रोज स्वप्न में पाने आया तुम्हें,
ले धाँ विख्यात मैं ।।अक्षतं।।पाती-थमाने आया तुम्हें,
सुमन ले परात में ।।पुष्पं।।छक देखने आया तुम्हें,
चरु ले भाँत-भाँत मैं ।।नैवेद्यं।।सुनने आया तुम्हें,
लिये दीपक, दृग् सुहात मेैं ।।दीपं।।छू पाने आया तुम्हें,
धूप ले ‘गंध-तीन-सात’ मैं ।।धूपं।।शीश नवाने आया तुम्हें,
ले फल जगत्-ख्यात मैं ।।फलं।।गुरु बनाने आया तुम्हें,
अरघ लाया साथ में ।।अर्घ्यं।।=हाईकू=
बहुत ध्यान,
रखते अपनों का गुरु भगवान्जयमाला
न चलता जादू
ऊपर तेरे
ए ! गुरुवर मेरे
क्या करूँ ?
मैं क्या करूँ ?
न चलता जादूथोड़ी सी जगह पानी थी
चरणों में,
तेरे अपने-अपनों में,
थोड़ी सी जगह पानी थी
दे बता भी रास्ता तू
क्या करूँ ?
मैं क्या करूँ ?थोड़ी सी मुझे करानी थी
चर्या आहार
घर अपने एक बार
चर्या तिहार
थोड़ी सी मुझे करानी थी
दे बता भी रास्ता तू
क्या करूँ ?
मैं क्या करूँ ?
थोड़ी सी मुझे सुनानी थी
अपनी व्यथा
तेरे कुछ और नजदीक आ
आप बीती कथा
थोड़ी सी मुझे सुनानी थी
दे बता भी रास्ता तू
क्या करूँ ?
मैं क्या करूँ ?ऊपर तेरे
ए ! गुरुवर मेरे
क्या करूँ ?
मैं क्या करूँ ?
न चलता जादू।। जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
तुझे देखना चाहे बार-बार,
‘जी’ खो के करार
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