परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 396हाईकू
एक शरण,
सभी के लिये, गुरुदेव चरण ।।स्थापना।।लगा अपने पीछे लो,
जल लिये मैं आया ‘जि ओ ।।जलं।।मुझे खींचे ले चलो,
चन्दन लिये मैं आया ‘जि ओ ।।चन्दनं।।तेरा अपना ही ले चलो,
धाँ लिये मैं आया ‘जि ओ ।।अक्षतं।।मुझे धकाते ले चलो,
पुष्प लिये मैं आया ‘जि ओ ।।पुष्पं।।पाँव-पाँव ही ले चलो,
चरु लिये मैं आया ‘जि ओ ।।नैवेद्यं।।अपने साथ ले चलो,
दिया लिये मैं आया ‘जि ओ ।।दीपं।।बना के शिष्य, ले चलो,
धूप लिये मैं आया ‘जि ओ ।।धूपं।।जा रहे वहाँ, ले चलो,
फल लिये मैं आया ‘जि ओ ।।फलं।।जहाँ जा रहे,ले चलो,
अर्घ लिये मैं आया ‘जि ओ ।।अर्घ्यं।।=हाईकू=
तपते रहें भाँत-भान,
हितौर गुरु भगवान्जयमाला
हो जाता है दिल बाग-बाग
आ जाती है मंजिल भाग-भाग
तू जिन्हें बना भक्त लेता है
तू जिन्हें अपना वक्त देता हैआ झोली जाते चाँद चार
हो जाता उसका बेड़ा पार
ढपली उसकी, उसका होता राग
आ जाती है मंजिल भाग-भागहो जाता है दिल बाग-बाग
आ जाती है मंजिल भाग-भाग
तू जिन्हें बना भक्त लेता है
तू जिन्हें अपना वक्त देता हैफूट पड़ती सोने से सुगन्ध
खुल पड़ती भीतरी आँख बन्द
काजल कोठी आ निकले बेदाग
ढपली उसकी, उसका होता रागहो जाता है दिल बाग-बाग
आ जाती है मंजिल भाग-भाग
तू जिन्हें बना भक्त लेता है
तू जिन्हें अपना वक्त देता है
।। जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
और किसका रहे गुरु का वक्त,
सिवाय भक्त
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