परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 393
=हाईकू=
आप दुआएँ,
तलक भक्त आती भिजा हवाएँ ।।स्थापना।।
लगा दो नाव किनारे,
भर जल-दृग् आये द्वारे ।।जलं।।
स्वप्न दो पूर हमारे,
खड़े ले के चन्दन द्वारे ।।चन्दनं।।
जगा दो भाग-सितारे,
लिये शालि-धाँ आये द्वारे ।।अक्षतं।।
कर दो बारे-न्यारे,
लाये सुमन सौरभ द्वारे ।।पुष्पं।।
दिखा दो दिव्य नजारे,
नैवेद्य ले के आये द्वारे ।।नैवेद्यं।।
‘पीस’ दीस न उठाऊँ पारे,
बालूँ दीप घी द्वारे ।।दीपं।।
लूँ न निर्णय बिना विचारे,
धूप ले आया द्वारे ।।धूपं।।
मोह दिन में ‘कि देखे तारे,
लाये श्री फल द्वारे ।।फलं।।
हों छू-मन्तर अँधियारे
अरघ ले आये द्वारे ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
गुरुजी देख-देख तुम्हें,
पा गया पंक्ति हंस में
जयमाला
वर्तमाँ वर्धमाँ अवतारी ओ ।
जुबां अमृत से भी मीठी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
दुआ अद्भुत माँ सी नीकी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
इक जगत अनियत बिहारी ओ !
वर्तमाँ वर्धमाँ अवतारी ओ ।
औरों की हिफाजत
दिन रात करके एक
अय ! दिले नेक
औरों की हिफाजत
करने की आदत, किसी की तो,
तुम्हारी वो
तकदीर जुदा अनोखी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
तस्वीर खुदा सरीखी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
वर्तमाँ वर्धमाँ अवतारी ओ ।
जुबां अमृत से भी मीठी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
दुआ अद्भुत माँ सी नीकी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
इक जगत अनियत बिहारी ओ !
वर्तमाँ वर्धमाँ अवतारी ओ ।
गैरों की शरारत
बेवजह बेशरत
अय ! शिव सुन्दर सत्
गैरों की शरारत
मुआफ करने की है, आदत किसी की तो,
तुम्हारी वो
तकदीर जुदा अनोखी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
तस्वीर खुदा सरीखी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
वर्तमाँ वर्धमाँ अवतारी ओ ।
जुबां अमृत से भी मीठी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
दुआ अद्भुत माँ सी नीकी है, किसी की तो,
तुम्हारी वो
इक जगत अनियत बिहारी ओ !
वर्तमाँ वर्धमाँ अवतारी ओ ।
।। जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
अकेला न मैं,
रहता खुदा मेरा मेरे साथ में
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