- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 374
हाईकू
सुनाऊँ किसे,
‘छोड़ के तुझे’ कौन जानता मुझे ।।स्थापना।।
आप करुणा जाये बरस,
लाये जल कलश ।।जलं।।
आप करुणा जाये बरस,
लाये चन्दन घिस ।।चन्दनं।।
आप करुणा जाये बरस,
लाये धॉं गैर तुस ।।अक्षतं।।
आप करुणा जाये बरस,
लाये पुष्प द्यु जश ।।पुष्पं।।
आप करुणा जाये बरष,
लाये चरु सरस ।।नैवेद्यं।।
आप करुणा जाये बरस,
लाये दीप गो-रस ।।दीपं।।
आप करुणा जाये वरष,
लाये सुगंध दश ।।धूपं।।
आप करुणा जाये बरस,
लाये फल सरस ।।फलं।।
आप करुणा जाये बरस,
लाये अर्घ हरष ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
बहुत देखा,
गुरु को हाथ और खींचते रेखा
जयमाला
आ तेरे अपनों में जाऊँ
पा तेरे चरणों में जाऊँ
जगह थोड़ी सी
प्रार्थना हाथ जोड़ी ‘कि
ओ ! सबका पाने वाला सजदा ।
ओ ! रब का पाने वाले दरजा ।।
आ तेरे चुनवे में जाऊँ
पा तेरे कुनवे में जाऊँ
जगह थोड़ी सी,
प्रार्थना हाथ जोड़ी ‘कि
ओ ! सबका पाने वाला सजदा ।
ओ ! रब का पाने वाले दरजा ।।
आ तेरे शिष्यों में जाऊँ
पा तेरे किस्सों में जाऊँ
जगह थोड़ी सी,
प्रार्थना हाथ जोड़ी ‘कि
ओ ! सबका पाने वाला सजदा ।
ओ ! रब का पाने वाले दरजा ।।
आ तेरे अपनों में जाऊँ
पा तेरे चरणों में जाऊँ
जगह थोड़ी सी
प्रार्थना हाथ जोड़ी ‘कि
ओ ! सबका पाने वाला सजदा ।
ओ ! रब का पाने वाले दरजा ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
पीछी ‘की’ संग,
भर जीवन में दो,मेरे भी रंग
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