परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रमांक 366=हाईकू=
पास किसी के,
नजर-पारखी तो बस ऋषि के ।।स्थापना।।कल फिर से, पाऊँ कि गन्धोदक,
भेंटूँ उदक ।।जलं।।कल फिर से, पाने रज-चरण,
भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।।कल फिर से, पाने तेरी मुस्कान,
भेदूँ औ धान ।।अक्षतं।।कल फिर से, पाने श्रुत-वचन,
भेंटूँ सुमन ।।पुष्पं।।कल फिर से, पाने तेरी किरपा,
भेंटूँ पकवाँ ।।नैवेद्यं।।कल फिर से, मन सके दीवाली,
भेंटूँ दीपाली ।।दीपं।।कल फिर से, पाने इक नजर,
भेंटूँ अगर ।।धूपं।।कल फिर से, पाने ऐसे-ही-पल,
भेंटूँ श्रीफल ।।फलं।।कल फिर से, पाने समाँ सुरग,
भेंटूँ अरघ ।।अर्घं।।हाईकू
लागे कि मना कैसे करूँ,
गुरु जी कहते ही यूँजयमाला
आओ भी उतर आँगन में
आया पानी उतर आँखन मेंअब तो,
मेरे रब ओ !
होने को आया अरसा
कृपया, दो कृपा बरसा
हूँ फैलाये खड़ा दामन में
आओ भी उतर आँगन में
आया पानी उतर आँखन मेंअब तो,
मेरे रब ओ !
लगा लगने
घर-अपने-ही डर-सा ।
कृपया, दो कृपा वरषा ।
हूँ भिंजोये खड़ा दृग् ‘वन’ मैं ।
आओ भी उतर आँगन में
आया पानी उतर आँखन मेंअब तो,
मेरे रब ओ !
वैसे सावन,
पे तिरे-बिन, लगे पतझर सा ।
कृपया, दो कृपा वरषा ।
पलकें बिछायें खड़ा स्वामिन् मैं ।
आओ भी उतर आँगन में
आया पानी उतर आँखन में
।। जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
हाथ लगाये बिना,
बुत-अद्भुत गुरु दें बना
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