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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 365

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 365

==हाईकू==

‘जि मिलने से पहले श्री गुरु,
न जिन्दगी शुरु ।।स्थापना।।

जल अँखिंयाँ,
स्वीकारो तोहफा ये भेंट किया ।।जलं।।

चन्दन ‘जि…आ,
स्वीकारो तोहफा ये भेंट किया ।।चन्दनं।।

धाँ -शाली नया,
स्वीकारो तोहफा ये भेंट किया ।।अक्षतं।।

पुष्प बागिया,
स्वीकारो तोहफा ये भेंट किया ।।पुष्पं।।

चरु गो-घिया,
स्वीकारो तोहफा ये भेंट किया ।।नैवेद्यं।।

गो-घृत- दिया,
स्वीकारो तोहफा ये भेंट किया ।।दीपं।।

धूप टिकिया,
स्वीकारो तोहफा ये भेंट किया ।।धूपं।।

फल डलिया,
स्वीकारो तोहफा ये भेंट किया ।।फलं।।

अर्घ बढ़िया,
स्वीकारो तोहफा ये भेंट किया ।।अर्घ्यं।।

==हाईकू==

न निकालने वाले,
माँ गुरु जी, ‘जी’ गये निकाले

जयमाला

रोजाना
चाँद निकले
चाँदनी खिले
दीदारे-नजराना
पाने तेरा, रोजाना

बुलबुल उड़ान
ले, गुल मुस्कान
दिल-तिरे आशियाना
कर पाने रोजाना
चाँद निकले
चाँदनी खिले
दीदारे-नजराना
पाने तेरा, रोजाना

बन के बाबरा
बदरा भँवरा
तारीफे तराना
गुनगुनाने तेरा रोजाना
चाँद निकले
चाँदनी खिले
दीदारे-नजराना
पाने तेरा, रोजाना

स्वर लिये झर-झर
निरझरे निर्झर
किरदारे अफसाना
अपनाने तेरा रोजाना,
चाँद निकले
चाँदनी खिले
दीदारे-नजराना
पाने तेरा, रोजाना
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

==हाईकू==

वे विषयों में, न रमें,
गुरु जिन के जीवन में,

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