परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 359=हाईकू=
तरु को किया सफल,
दृग् अभी भी मेरे सजल ।।स्थापना।।झिरी चाँद से,
वो सुधा लाये,
तुम्हें मनाने आये ।।जलं।।उसी में घोर,
चन्दन लाये,
तुम्हें मनाने आये ।।चन्दनं।।उसी से सराबोर,
धाँ लाये,
तुम्हें मनाने आये ।।अक्षतं।।उसी से सींच,
पुष्पों को लायें,
तुम्हें मनाने आये ।।पुष्पं।।उसी से बने,
व्यंजन लाये,
तुम्हें मनाने आये ।।नैवेद्यं।।उसी माफिक,
दीपिक लाये,
तुम्हें मनाने आये ।।दीपं।।उसी-सी नूप,
ये धूप लाये,
तुम्हें मनाने आये ।।धूपं।।उसी से नीके,
ये फल लाये,
तुम्हें मनाने आये ।।फलं।।यूँ अलग,
ये अरघ लाये,
तुम्हें मनाने आये ।।अर्घ्यं।।=हाईकू=
थमे मन की तरंग,
चढ़ते ही रंग सत्संग।। जयमाला।।
नजर,
कर दो नजर,
एक इधर,
मेरे गुरुवर !
है तन्हा तन्हा,
तुम्हारे बिना,
ये मेरा घर,
मेरे गुरुवर !है गुजर चला, एक अरसा तुम न आये ।
थी अजनबी आ गई, बरसा तुम न आये ।।
ले भी तो, लो खबर,चिड़िया भी घर न, आई है तभी से ।
टूटे है तुम्हारे बिना, मेरे रिश्ते सभी से ।।
आँख आती है भर,मुरझा चली है, मेरे आँगन की तुलसी ।
दस्तक न देती है, आके अब कोई भी खुशी ।।
है काँटों से भरा सफर ।
नजर,
कर दो नजर,
एक इधर,
।। जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
गन्धोदक यूँ ही पाऊँ घना-घना,
नम्र प्रार्थना
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