- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 349
-हाईकू-
मिले उनको आहार,
मेरी भी लो सुन पुकार ।।स्थापना।।
भेंटूँ उदक,
यूँ ही रोजाना पाने तेरी झलक ।।जलं।।
भेंटूँ चन्दन,
यूँ ही रोजाना पाने तेरा वन्दन ।।चन्दनं।।
भेंटूँ सु-धान,
यूँ ही रोजाना पाने तेरी मुस्कान ।।अक्षतं।।
भेंटूँ फुलवा,
यूँ ही रोजाना पाने तेरी किरपा ।।पुष्पं।।
भेंटूँ व्यंजन,
यूँ ही रोजाना पाने तेरे-दर्शन ।।नैवेद्यं।।
भेंटूँ दीपिका,
यूँ ही रोजाना पाने तेरी आशिका ।।दीपं।।
भेंटूँ अगर,
यूँ ही रोजाना पाने तेरी नजर ।।धूपं।।
भेंटूँ श्रीफल,
यूँ ही रोजाना पाने तेरे-दो पल ।।फलं।।
भेंटूँ अशेष,
यूँ ही रोजाना पाने तेरा सन्देश ।। अर्घ्यं।।
-हाईकू-
ले अँगूठा लो कागज कोरे,
होते गुरु ‘जी’ गो ‘रे
।। जयमाला।।
आशीषी छाँव की खातिर
आ रहे बड़ी दूर से चलकर
कृपा कर भी तो दो गुरुवर
आप धूलि पाँव की खातिर ।
आशीषी छाँव की खातिर ।
आ रहे बड़ी दूर से चलकर
कृपा कर भी तो दो गुरुवर
कर निहाल दो,
नजर बस, एक डाल दो ।
होगा अहसान बड़ा हम पर ।
कृपा कर भी तो दो गुरुवर
आप धूलि पाँव की खातिर ।
आशीषी छाँव की खातिर ।
आ रहे बड़ी दूर से चलकर
कृपा कर भी तो दो गुरुवर
कर निहाल दो,
हो कैसे ? बस, पूछ हाल लो ।
होगा अहसान बड़ा हम पर ।
कृपा कर भी तो दो गुरुवर
आप धूलि पाँव की खातिर ।
आशीषी छाँव की खातिर ।
आ रहे बड़ी दूर से चलकर
कृपा कर भी तो दो गुरुवर
कर निहाल दो
चरणों में बस, अपने बिठाल लो
होगा अहसान बड़ा हम पर ।
कृपा कर भी तो दो गुरुवर
आप धूलि पाँव की खातिर ।
आशीषी छाँव की खातिर।
आ रहे बड़ी दूर से चलकर
कृपा कर भी तो दो गुरुवर
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
-हाईकू –
हो किनका न शान्त मन,
छू गुरु जी के चरण
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