परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 303
*हाईकू*
मने दिवाली
लिये आश ये,
द्वार आये सवाली ।।स्थापना।।
स्वीकारिये,
श्री गुरु दृग् नम !
लाये उदक हम ।।जलं।।
स्वीकारिये,
‘गिर् गुरु सुरम !
लाये चन्दन हम ।।चन्दनं।।
स्वीकारिये,
‘जी’ ‘गुरु’ नरम !
लाये तण्डुलं हम ।।अक्षतं।।
स्वीकारिये,
श्री गुरु ब्रिहम !
लाये पहुप हम ।।पुष्पं।।
स्वीकारिये,
श्री गुरु परम !
लाये व्यञ्जन हम ।।नैवेद्यं।।
स्वीकारिये,
‘भी’ गुरु प्रथम !
लाये दीपक हम ।।दीपं।।
स्वीकारिये,
ध्यां गुरु-धरम !
लाये सुगन्ध हम ।।धूपं।।
स्वीकारिये,
विद् गुरु मरम !
लाये श्रीफल हम ।।फलं।।
स्वीकारिये,
श्री श्री गुरुतरम्
लाये अरघ हम ।।अर्घ्यं।।
*हाईकू*
पाँव उखड़े पाप के,
आशीष में जादू आपके
।।जयमाला।।
सुत मल्लप्प गुरुदेवा ।
दीवो अप्प गुरुदेवा ।।
शारद पुन गुरुदेवा ।
स्वारथ शून गुरुदेवा ।।१।।
पातर पाण गुरुदेवा ।
आखर वाण गुरुदेवा ।।
सन्मत वंश गुरुदेवा ।
जिन-मत हंस गुरुदेवा ।।२।।
बदरी नैन गुरुदेवा ।
मिसरी वैन गुरुदेवा ।।
पावन पूत गुरुदेवा ।
माहन सूत्र गुरुदेवा ।।३।।
दया निधान गुरुदेवा ।
मन नादान गुरुदेवा ।।
मन्दर प्रीत गुरुदेवा ।
चन्दर जीत गुरुदेवा ।।४।।
पर उपकार गुरुदेवा ।
गुण गुणकार गुरुदेवा ।।
मन मृग ठाम गुरुदेवा ।
सु-मरण शाम गुरुदेवा ।।५।।
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
*हाईकू*
न खास मैं,
मैं अयस्,
पै पारस,
लो रख पास मैं
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