परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रमांक 300
*हाईकू*
छोटे बाबा,
दो उतार, पार…
बीच भँवर नावा ।।स्थापना।।
हटक दीजे गुरुदेव,
परेशां करे कुटेव ।।जलं।।
हटक दीजे गुरुदेव,
परेशां करे दुर्दैव ।।चन्दनं।।
हटक दीजे गुरुदेव,
परेशां करे फरेब ।।अक्षतं।।
हटक दीजे गुरुदेव,
ले बाजी ‘मार’ सदैव ।।पुष्पं।।
हटक दीजे गुरुदेव,
आ जाता ‘फिर के’ ऐव ।।नैवेद्यं।।
हटक दीजे गुरुदेव,
पीछे ‘धी ही’ स्वयमेव ।।दीपं।।
हटक दीजे गुरुदेव,
परेशां करे कुदेव ।।धूपं।।
हटक दीजे गुरुदेव,
टिके ही पुण्य न जेब ।।फलं।।
हटक दीजे गुरुदेव,
छिद्र के फेरे में खेव ।।अर्घ्यं।।
*हाईकू*
सुकूँ पाने,
आ मन !
गुनगुनाते
गुरु तराने
।। जयमाला।।
दिल के सच्चे हो
सपने तुम, हाँ हाँ हाँ !
कितने अच्छे हो
दिल के सच्चे हो ।
हो इक अपने तुम
सपने तुम,
हाँ हाँ, सपने तुम
कितने अच्छे हो,
दिल के सच्चे हो ।
उनके दर्शन बिन
थे माफिक दिन, छिन
समझा तुमने गम
हो इक अपने तुम
सपने तुम,
हाँ हाँ, सपने तुम
कितने अच्छे हो,
दिल के सच्चे हो ।
उनके दर्शन बिन
थे जाते छिन, गिन
समझा तुमने गम
हो इक अपने तुम ।
सपने तुम,
हाँ हाँ, सपने तुम
कितने अच्छे हो,
दिल के सच्चे हो ।
हो इक अपने तुम ।
सपने तुम,
उनके दर्शन बिन
जीवन रुदन विपिन
समझा तुमने गम
हो इक अपने तुम ।
सपने तुम,
हाँ हाँ, सपने तुम
कितने अच्छे हो,
दिल के सच्चे हो ।
हो इक अपने तुम ।
सपने तुम,
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
गा पाऊँगा क्या गाथा,
वृहस्पति वो झुकायें माथा
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