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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 282

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 282

==हाईकू==

गुरुजी !
कलि-बिछे काँटे बहुत ही,
ले लो गोदी ।।स्थापना।।

भेंटते जल,
दो लगा किनारे
ओ ! तारणहारे ।।जलं।।

भेंटते गन्ध,
दो लगा किनारे,
ओ ! एक सहारे ।।चन्दनं।।

भेंटते सुधाँ,
दो लगा किनारे,
ओ ! पालन हारे ।।अक्षतं।।

भेंटते पुष्प,
दो लगा किनारे,
ओ ! भाग-पिटारे ।।पुष्पं।।

भेंटते चरु,
दो लगा किनारे,
ओ ! तीरथ सारे ।।नैवेद्यं।।

भेंटते दीप,
दो लगा किनारे,
ओ ! भगवन् म्हारे ।।दीपं।।

भेंटते धूप,
दो लगा किनारे,
ओ ! सौम्य अहा ‘रे ।।धूपं।।

भेंटते फल,
दो लगा किनारे,
ओ ! सौख्य-सितारे ।।फलं।।

भेंटते अर्घ्य,
दो लगा किनारे,
ओ ! दिव्य नजारे ।।अर्घ्यं।।

==हाईकू==

तारणहारे,
माँ-पिता
हाँ…हाँ… आप देवता म्हारे ।।

…जयमाला…

गुरुदेव चाहूँगा तुम्हें सदैव,
पल-पल-पलक-पलक
हाँ ! हाँ ! हाँ ! मरते दम तलक,
करता रहूँगा यूँ हि सेव ।

भक्तों के जाते हो, घर जाते रहना ।
एक ख्वाब बस, निश ख्वाबों में आते रहना ।।
गुरुदेव चाहूँगा तुम्हें सदैव,
पल-पल-पलक-पलक
हाँ ! हाँ ! हाँ ! मरते दम तलक,
करता रहूँगा यूँ हि सेव ।

ले के घर आहार पूर्ण कर सपने देना ।
एक ख्वाब बस रख चरणों में अपने लेना ।।
गुरुदेव चाहूँगा तुम्हें सदैव,
पल-पल-पलक-पलक
हाँ ! हाँ ! हाँ ! मरते दम तलक,
करता रहूँगा यूँ हि सेव ।

सुना, दूर अपनों की, सुनते हो गैरों की ।
एक ख्वाब बस दे दो, रज अपने पैरों की ।
गुरुदेव चाहूँगा तुम्हें सदैव,
पल-पल-पलक-पलक
हाँ ! हाँ ! हाँ ! मरते दम तलक,
करता रहूँगा यूँ हि सेव ।

देखे तुम्हें ‘कि भाग जाये पग उल्टे माया ।
एक ख्वाब रखना बनाये सिर छत्रच्छाया ॥
गुरुदेव चाहूँगा तुम्हें सदैव,
पल-पल-पलक-पलक
हाँ ! हाँ ! हाँ ! मरते दम तलक,
करता रहूँगा यूँ हि सेव ।
॥ जयमाला पूर्णार्घं ॥

==हाईकू==

एक विनय,
कर अपने जैसा लो, सविनय ॥

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