परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 279
**हाईकू**
अपना लो
‘कि सुन आया
तुम्हें न कोई पराया ।।स्थापना।।
तुमने मुझे जो दे दिया समय,
भींगे दृग्-द्वय ।।जलं।।
तुमने मुझे जो दे दी शरण,
मैं भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।।
तुमने मुझे सेवा का मौका दिया,
भेंटूँ शालि धाँ ।।अक्षतं।।
तुमने मुझे, जो दिया ‘नौ-जनम,
भेंटूँ कुसुम ।।पुष्पं।।
तुमने मुझे जो दी चरण रज,
भेंटूँ नेवज ।।नैवेद्यं।।
तुमने मुझे जो दिया गंधोदक,
भेंटूँ दीपक ।।दीपं।।
तुमने मुझे दी ये जो दूजी खुशी,
भेंटूँ सुगंधी ।।धूपं।।
तुमने मुझे दिये स्वर्णिम पल,
भेंटूँ श्री फल ।।फलं।।
तुमने मुझे ये जो लिया समझ,
भेंटूँ अरघ ।।अर्घ्यं।।
**हाईकू**
तुम्हारी मीरा बनना,
दे…बता क्या होगा करना ।
…जयमाला…
गोद चाँद बेदाग ।
माँ श्री मति बड़भाग ॥
तले न अंधियारा ।
जग-मग जग सारा ।।
कुल मल्लप्प चिराग ।
माँ श्री मति बड़भाग ।
गोद चाँद बेदाग ।
माँ श्री मति बड़भाग ॥
जाकर दृग् रस्ते ।
जाता दिल धसते ।।
फूल न ऐसा बाग ।
माँ श्री मति बड़भाग ।।
गोद चाँद बेदाग ।
माँ श्री मति बड़भाग ॥
भरता किलकारी ।
खुश दुनिया सारी ।।
बोले मुडेर काग ।
माँ श्री मति बड़भाग ।।
गोद चाँद बेदाग ।
माँ श्री मति बड़भाग ॥
।।जयमाला पूर्णार्घं ।।
**हाईकू**
‘रख दो सर पर हाथ,
और न और मुराद’
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