परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 265
*हाईकू*
बर्खा करीबा
‘नुति शाने हिन्दुस्तँ’
चर्खा संजीवा ।।स्थापना।।
चढ़ाऊँ जल, चन्दन समाँ,
पाने ‘भी’तर क्षमा ।।जलं।।
भेंटूँ चन्दन, चन्दन समाँ,
पाने तुम्हें आँगना ।।चन्दनं।।
चढ़ाऊँ शालि-धाँ, चन्दन समाँ,
छू पाने आसमाँ ।।अक्षतं।।
चढ़ाऊँ पुष्प, चन्दन समाँ,
लगे हाथ अरमाँ ।।पुष्पं।।
भेंटूँ नैवेद्य, चन्दन समाँ,
गुमा ‘कि सकूँ गुमाँ ।।नैवेद्यं।।
चढ़ाऊँ दीप, चन्दन समाँ,
पूर पाने सपना ।।दीपं।।
चढ़ाऊँ धूप, चन्दन समाँ,
पाने धार नयना ।।धूपं।।
भेंटूॅं श्री फल, चन्दन समाँ,
पाने द्यु-शिव-रमा ।।फलं।।
अर्घ स्वीकारो,
खिवैय्या,
शिव-नैय्या,
पार उतारो ।।अर्घ्यं।।
*हाईकू*
छुवाँ आसमाँ दिया,
बागवाँ गुरु-देव शुक्रिया !
।। जयमाला।।
नाग-सा काला काला,
काग-सा काला काला,
दाग-सा काला काला,
छा रहा हा ! अंधियारा ।।
कोई न और हमारा ।
एक बस तेरा सहारा ।
हा ! कलेजा छीन गो से ।
जा रहा परदेश नौ से ।।
नाग-सा काला काला,
काग-सा काला काला,
दाग-सा काला काला,
छा रहा हा ! अंधियारा ।।
कोई न और हमारा ।
एक बस तेरा सहारा ।
मँजे थे, कल दिल-सच्चे ।
हा ! नशे में धुत्त बच्चे ।।
नाग-सा काला काला,
काग-सा काला काला,
दाग-सा काला काला,
छा रहा हा ! अंधियारा ।।
कोई न और हमारा ।
एक बस तेरा सहारा ।
टूट-गुरुकुल ढह गये हैं ।
‘लूट-घर’ कुल रह गये हैं ।।
नाग-सा काला काला,
काग-सा काला काला,
दाग-सा काला काला,
छा रहा हा ! अंधियारा ।।
कोई न और हमारा ।
एक बस तेरा सहारा ।
आ गया कैसा जमाना ।
सिर चढ़ा पैसा जमा ‘ना’ ।।
नाग-सा काला काला,
काग-सा काला काला,
दाग-सा काला काला,
छा रहा हा ! अंधियारा ।।
कोई न और हमारा ।
एक बस तेरा सहारा ।
जुदा-भाषी आँख तीजी ।
जुबाँ माँ की आँख भींजी ।।
नाग-सा काला काला,
काग-सा काला काला,
दाग-सा काला काला,
छा रहा हा ! अंधियारा ।।
कोई न और हमारा ।
एक बस तेरा सहारा ।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
*हाईकू*
‘जि हुईं भूलें,
हाँ ! हाँ ! हो गईं भूलें, काफी
दो माफी’
Sharing is caring!