परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 210
निराकुल और न्यारे ।
बच्चे जिनको प्यारे ।।
रब से छोटे बाबा ।
सब के तारण-हारे ।। स्थापना ।।
बच्चे जब भी आते ।
मुस्काँ नुख्सा पाते ।।
जल ले आये, गुरु जी ! ।
झूमते ढ़ोल बजाते ।। जलं ।।
बच्चे जब भी आते ।
साहस-ढाढस पाते ।।
चन्दन लाये, गुरु जी ! ।
झूमते ढ़ोल बजाते ।। चंदनं ।।
बच्चे जब भी आते ।
आशीष-शीश पाते ।।
अक्षत लाये, गुरु जी ! ।
झूमते ढ़ोल बजाते ।।अक्षतम् ।।
बच्चे जब भी आते ।
अच्छा रस्ता पाते ।।
ले पुष्प, आये, गुरु जी ! ।
झूमते ढोल बजाते ।। पुष्पं ।।
बच्चे जब भी आते ।
प्रश्नों के हल पाते ।।
पकवान लाये, गुरु जी ! ।
झूमते ढोल बजाते ।। नैवेद्यं ।।
बच्चे जब भी आते ।
दो ‘स्यात्’ बात पाते ।।
ले दीप आये, गुरु जी ! ।
झूमते ढोल बजाते ।। दीपं ।।
बच्चे जब भी आते ।
ऽऽचरणा-शरणा पाते ।।
ले धूप आये, गुरु जी ! ।
झूमते ढोल बजाते ।। धूपं ।।
बच्चे जब भी आते ।
सुख चैन-अमन पाते ।।
फल थाल लाये गुरु जी ! ।
झूमते ढोल बजाते ।। फलं ।।
बच्चे जब भी आते ।
नवकार मन्त्र पाते ।।
ले अर्घ आये गुरु जी ! ।
झूमते ढोल बजाते ।। अर्घं ।।
==दोहा==
निरत ‘कि भारत माथ से,
हटे इण्डिया नाम ।
शाने-हिन्दुस्तान वे,
शत-शत तिन्हें प्रणाम ।।
।। जयमाला ।।
प्रद सम्यक् दर्शन जय हो ।
दिग्दर्शक सु-मरण जय हो ।
जय जय हो सन्त शिरोमण ।
जय हो संरक्षक गोधन ।।१।।
संकट मोचन जय जय हो ।
घट घट रोशन जय जय हो ।।
जय हो पूर्णायु प्रणेता ।
जय जय हो ऊरध रेता ।।२।।
अख पंच विजेता जय हो ।
ऋषि, मुनि, यति नेता जय हो ।
जय हो चल करुणा पोथी ।
जय जयतु समाधी बोधी ।।३।।
गोदी मां प्रवचन जय हो ।
ज्योति अविचल मण जय हो ।।
जय जय हो नमतर नैना ।
जय सत् शिव सुन्दर वैना ।।४।।
कलि रैना चांदी जय हो ।
भा…रत आजादी जय हो ।।
जय हो गुण अगम अगोचर ।
जय श्री गुरु विद्या-सागर ।।५।।
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
==दोहा==
पहली दूजी आखरी,
हम बच्चों की चाह ।
आप जहाँ भी जा रहे,
ले चालो उस राह ।।
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