परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 200
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।।
गम चहु ओर तम ।
बरषा दो रहम ।। स्थापना ।।
लिये घट नीर हम ।
लिखा तकदीर गम ।।
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।। जलं ।।
लिये चन्दन कलश ।
करे क्रन्दन परस ।।
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।। चंदनं ।।
शालि-धाँ कण लिये ।
कालिमा मन छिये ।।
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।। अक्षतम् ।।
लिये थाली कुसुम ।
हुई दिवाली गुम ।।
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।। पुष्पं ।।
लिये पकवान घी ।
मन न माने कही ।।
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।। नैवेद्यं ।।
दीप लाये रतन ।
इक न तन मन वचन ।।
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।। दीपं ।।
धूप सौरभ अहा ।
रूप सो रब कहाँ ।।
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।। धूपं ।।
फल मधुर मधुरतम ।
कल-फिकर दर कदम ।।
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।। फलं ।।
दरब लाये सरब ।
सब सताये गरब ।।
बरषा दो रहम ।
मेरे गुरुवर परम ।। अर्घं ।।
==दोहा==
जादू गुरु के रूप में,
लखते ही इक बार ।
विरली सी मिलती लगे,
ठण्डक अपरम्पार ।।
।। जयमाला ।।
आरती छोटे बाबा की
मिटाती पीर सुनो साथी ।
भिंटाती तीर, चुनो साथी ।।
छोड़ के और काम बाकी ।
आरती छोटे बाबा की
अश्रु जल भर के आंखों में ।
दीप घृत लेके हाथों में ।
करो संध्या तीनों साथी ।
छोड़ के और काम बाकी ।।१।।
रोम पुलकन अनचीनी ले ।
भावना भींनी-भींनी ले ।।
विनाशे कष्ट, सुनो साथी ।
पंच परमेष्ट, चुनो साथी ।।
छोड़ के और काम बाकी ।
आरती छोटे बाबा की ।।
अश्रु जल भर के आंखों में ।
दीप घृत लेके हाथों में ।
करो संध्या तीनों साथी ।
छोड़ के और काम बाकी ।।२।।
सुपन जो देखे अनदेखे ।
सुमन दो श्रद्धा के लेके ।।
निरा-कुल थान, सुनो साथी ।
गुरू-कुल ज्ञान, चुनो साथी ।।
छोड़ के और काम बाकी ।
आरती छोटे बाबा की ।।
अश्रु जल भर के आंखों में ।
दीप घृत लेके हाथों में ।
करो संध्या तीनों साथी ।
छोड़ के और काम बाकी ।।३।।
।। जयमाला पूर्णार्घ्य ।।
==दोहा==
आती जाती श्वास ले,
जिसकी गुरु का नाम ।
बड़ी कीमती चीज भी,
लगे हाथ निर्दाम ।।
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