परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 166
इक साँचा गुरु का द्वारा ।
संसार प्रपञ्च पिटारा ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा।। स्थापना।।
झारी भर लाया जल की ।
ओ फिकर विहर लो कल की ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा ।। जलं।।
ले आया चन्दन झारी ।
विपदा लो विहर हमारी ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा।। चन्दनं ।।
अक्षत परात भर लाया ।
अब फाँस सके नहिं माया ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा।। अक्षतम् ।।
ले आया पुष्प सलोने ।
वन निर्जन नहिं अब रोने ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा।। पुष्पं ।।
ले आया व्यंजन घी के ।
बनने मन आप सरीखे ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा ।। नैवेद्यं ।।
आया ले दीवा माला ।
करने विमोह मुँह काला ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा।। दीपं ।।
घट धूप रहा हूँ खे मैं ।
जर कर्म जाँय सब जेमें ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा।। धूपं ।।
ऋतु फल भर लाया थाली ।
मन जाये आज दिवाली ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा।। फलं ।।
ले खड़ा अर्घ हाथों में ।
करने ऽपवर्ग हाथों में ।।
नहिं कोई और हमारा ।
गुरुदेव तिहार सहारा।। अर्घं ।।
==दोहा==
गुरु सेवा में जो खड़े,
क्षण वो बड़े अमोल ।
आ मन गुरु कीर्तन करें,
नाँच गा बजा ढ़ोल ।।
।। जयमाला ।।
तुम जो मिल गये ।
गम पिघल गये ।।
अब और आश ना ।
छू गये आसमाँ ।।
गुरु नमो नमः गुरु नमो नमः, गुरु नमो नमः ।।
खजाना मिल गया ।
बाना बदल गया ।।
अब और आश ना ।
छू गये आसमाँ ।।
गुरु नमो नमः , गुरु नमो नमः , गुरु नमो नमः ।।
प्रदीप जल गया ।
पा-सीप जल गया ।।
अब और आश ना ।
छू गये आसमाँ ।।
गुरु नमो नमः , गुरु नमो नमः , गुरु नमो नमः ।।
पन्थ मिल गया ।
पा बसन्त बल गया ।।
अब और आश ना ।
छू गये आसमाँ ।।
गुरु नमो नमः गुरु नमो नमः गुरु नमो नमः ।।
मन फूल खिल गया ।
मनोनुकूल मिल गया ।।
अब और आश ना ।
छू गये आसमाँ ।।
गुरु नमो नमः , गुरु नमो नमः , गुरु नमो नमः ।।
। ।जयमाला पूर्णार्घं। ।
==दोहा==
एक यही है आपसे,
विनती निशि अरु दीस ।
बना आपका नित रहे,
बालक पे आशीष ।।
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