परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 162
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
आये चरण शरण हम ग्वाले ।। स्थापना ।।
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
लाये जल चरणन हम ग्वाले ।। जलं ।।
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
लाये गंध चरण हम ग्वाले ।। चन्दनं ।।
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
लाये अछत चरण हम ग्वाले ।। अक्षतम् ।।
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
लाये पुष्प चरण हम ग्वाले ।। पुष्पं ।।
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
लाये चरु चरणन हम ग्वाले ।। नैवेद्यं ।।
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
लाये दीप चरण हम ग्वाले ।। दीपं ।।
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
लाये धूप चरण हम ग्वाले ।। धूपं ।।
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
लाये फल चरणन हम ग्वाले ।। फलं ।।
जय गुरुदेव गुशाला वाले ।
विद्या सागर सन्त निराले ।।
पाप भाव विहॅंसाने काले ।
लाये अरघ चरण हम ग्वाले ।। अर्घं ।।
==दोहा==
गो के आँसु पोछने,
है जो खड़े सदैव ।
नमन मिरा स्वीकार वे,
कर लेवें गुरुदेव ।।
।। जयमाला ।।
माँ श्री मन्ती लाला ।
गोपाला गोपाला ।।
वो बस्ती की गायें ।
खो मस्ती में गायें ।।
माँ श्रीमन्ती लाला ।
गोपाला गोपाला ।।
दुख भूल सभी गायें ।
झुक झूम सभी गायें ।।
माँ श्रीमन्ती लाला ।
गोपाला गोपाला ।।
मातम विहँसा गायें ।
ना कम मुस्का गायें ।।
माँ श्रीमन्ती लाला ।
गोपाला गोपाला ।।
वे गाँव-शहर गायें ।
ले लहर-लहर गायें ।।
माँ श्रीमन्ती लाला ।
गोपाला गोपाला ।।
आ मुलक मुलक गायें ।
वाह ठुमक ठुमक गायें ।।
माँ श्रीमन्ती लाला ।
गोपाला गोपाला ।।
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
==दोहा==
दया आपकी पा गई,
गो करुणा प्रतिपाल ।
बारी अब मेरी अहो,
कर दो दया दयाल ।।
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