परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 125
आओ गुरुवर आओ ।
आ दीप थमा जाओ ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है ।। स्थापना ।।
दृग् पानी रहा कहाँ ।
बिक पानी रहा यहाँ ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है ।। जलं ।।
पो-फटने ना पाती ।
गो-कटने आ जाती ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है ।। चन्दनं।।
आ गई मशीनें हैं ।
हक करघा छीनें हैं ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है।। अक्षतम् ।।
बेटी विदेश बेटा ।
हहा ! दूध सपरेटा ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है।। पुष्पं ।।
उन्नीदी सी नस्लें ।
उन्नीसी सी फसलें ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है ।। नैवेद्यं ।।
आ गया समय कैसा ।
सिर चढ़ बोले पैसा ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है ।। दीपं ।।
पढ़-लिखकर भी बच्चे ।
बस दिखने के अच्छे ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है ।। धूपं ।।
कैसी छा रही निशा ।
बच्ची कर रही नशा ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है ।। फलं ।।
हा! हा! कलि बलिहारी ।
लज्जा भूली नारी ।।
छाया अँधियारा है ।
इक तिरा सहारा है ।।अर्घं।।
==दोहा==
गुरुवर का गुण गावना,
बड़ा सरल सा काम ।
करनी हो पहचान माँ,
कब शिशु हो नाकाम ॥
॥ जयमाला ॥
सबसे प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ।
तारण-हारे, पालन-हारे,
छोटे बाबा हैं ॥
धन्य किया माँ श्री-मति पिता,
मलप्पा तारे हैं ।
श्रमण देश-भूषण गुरु ज्ञान सिन्धु ,
सुत प्यारे हैं ॥
जग उजियारे, सजग अहा’ रे,
छोटे बाबा हैं ।
सबसे प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
पीछे छूटा शतक श्रमण,
निर्ग्रन्थ किये इनने ।
नेक अर्जिका नेक-दिल ‘दिये’,
जला दिये इनने ॥
शरण सहारे, तरण किनारे,
छोटे बाबा हैं ।
सबसे प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
प्रतिभा-मण्डल, प्रतिभा-संस्थलि,
लखते ही बनती ।
हत-करघों की लगा न सकते,
हाथों पे गिनती ॥
भाग-सितारे, फाग-नजारे,
छोटे बाबा हैं ।
सबसे-प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
शान्ति दुग्ध धारा है अनुपम,
क्या उसका कहना ।
गो-शाला भाग्योदय धर्म-
अहिंसा, का गहना ॥
कीरत-द्वारे, तीरथ-सारे,
छोटे बाबा हैं ।
सबसे-प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
बन सर्वोदय तीर्थ रहा ,
असहायन वैशाखी ।
तीर्थ दयोदय के गवाक्ष से,
परम दया झाँकी ॥
दीप्त-सितारे, दिव्य-नजारे,
छोटे बाबा हैं ।
सबसे-प्यारे,जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ।
कूट सहस्र जिनालय जिनकी,
जन्नत में चर्चा ।
जिन मत दूर मूकमाटी की,
हर मत में अर्चा ॥
सौख्य-पिटारे, सौम्य अहा ‘रे,
छोटे बाबा है ।
सबसे-प्यारे,जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
आश्रम ब्राह्मी सुन्दरी से ,
इनका गहरा नाता ।
संस्था-नेमावर-समाधि गाये,
गौरव गाथा ॥
सत्सँग द्वारे, मंगल सारे,
छोटे बाबा हैं
सबसे प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
पूरी मैत्री के क्या कहने,
चर्चे गली गली ।
अनुशासन वो खुशबू फीकी,
लगती खिली कली ॥
खुदा हमारे, सुधा अहा ‘रे,
छोटे बाबा है
सबसे प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
बने इण्डिया भा…रत, रखी-
सँभाल बाग डोरी ।
गुरुकुल इनके आ हैं लोग,
रहे विदेश छोड़ी ॥
खेवन हारे, ‘सेवन तारे’
छोटे बाबा है ।
सबसे प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
हवा पश्चिमी देख प्रतिक्षा,
प्रतिभा रुख बदले ।
खड़ी नशा-बन्दी भी अपना,
ऊँचा सा कद ले ॥
सावन न्यारे, छाँव नजारे ,
छोटे बाबा हैं ।
सबसे प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
जैविक-कृषि कृपा पा इनकी,
जुगुनु सी चमके ।
हिन्दी बन भारत माँ माथे,
की बिन्दी दमके ॥
शगुन पिटारे, सद्-गुण द्वारे ,
छोटे बाबा है ।
सबसे प्यारे,जग से न्यारे,
छोटे बाबा है ॥
बूचड़ खाने देख आँख,
इनकी थर-थर काँपे ।
माल विदेशी गृह उद्योगन ,
देख राह नापें ॥
निरीह न्यारे, सींह अहा’रे ,
छोटे बाबा है ।
सबसे प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
तातो क्यों रोता कविताओं,
के इक प्रस्तोता ।
छन्द हाईकू इन्हें न पाता,
तो रहता रोता ॥
कवि-जग-न्यारे, छवि भगवाँ ‘रे,
छोटे बाबा है ।
सबसे प्यारे, जग से न्यारे,
छोटे बाबा हैं ॥
और और क्या कहे पार,
उपकार न आता है ।
छोर-क्षितिज आते-आते भी,
कब आ पाता है ॥
शरण सहाई सिर्फ हमें ,
इसलिये मौन स्वामी ।
एक नहीं, जो हुई नेक वो,
होय गौण खामी ॥
।।जयमाला पूर्णार्घ्यं ।।
==दोहा==
गुरुवर का गुण गावना,
कहाँ सरल सा काम ।
बड़े-बड़े विद्वान भी,
सुर-गुरु से नाकाम ॥
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