loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 1007

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 1007

श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।स्थापना।।

क्यूँ न चढ़ाऊँ, भर जल गंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।जलं।।

क्यूँ न चढ़ाऊँ, गंध सभृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।चन्दनं।।

क्यूँ न चढ़ाऊँ, धान अभंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।अक्षतं।।

क्यूँ न चढ़ाऊँ, गुल नवरंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।पुष्पं।।

क्यूँ न चढ़ाऊँ, चरु अरु बंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।नैवेद्यं।।

क्यूँ न चढ़ाऊँ, लौं नितरंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।दीपं।।

क्यूँ न चढ़ाऊँ, धूप लवंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।धूपं।।

क्यूँ न चढ़ाऊँ, फल नारंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।फलं।।

क्यूँ न चढ़ाऊँ, द्रव वसु संग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
श्री गुरु डोर, मैं पतंग
श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग
गुरु पद पंकज, मैं भृंग
चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग
जयवन्त जयवन्त
श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।अर्घ्यं।।

=कीर्तन=
नमन नमन नमन नमन
जयतु जयतु मेरे भगवन्
मेरे मन के देवता नमन
नमन नमन नमन नमन
जयतु जयतु मेरे भगवन्

।।जयमाला।।
जयतु जयतु जयकार
किरपा-मयी
करुणा-मयी
है दया-मयी
श्री गुरु का दरबार
जयतु जयतु जयकार

विहँस चला मिथ्या-तम पंक
भक्त जटाऊ सोने पंख
आँगन चौषट-धार
जयतु जयतु जयकार

किरपा-मयी
करुणा-मयी
है दया-मयी
श्री गुरु का दरबार
जयतु जयतु जयकार

ग्वाल बाल गय्यैन रखवन्त
कुल गुरु कुन्दकुन्द भगवन्त
चूनर चाँद सितार
जयतु जयतु जयकार

किरपा-मयी
करुणा-मयी
है दया-मयी
श्री गुरु का दरबार
जयतु जयतु जयकार

नाग, नकुल, कपि गगन पतंग
सहज समाहित मनसि तरंग
निज निध आँखें चार
जयतु जयतु जयकार

किरपा-मयी
करुणा-मयी
है दया-मयी
श्री गुरु का दरबार
जयतु जयतु जयकार
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

=हाईकू=
कल्प तरु न यूँ माया
बिना माँगे गुरु से पाया

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point