वासु-पूज्य
आरती
वासुपूज देव
देव करे सेव
आरती उतारें हम भी सदैव
सोने की थाल
दीप घी प्रजाल
आरती उतारें हम भी सदैव
आरतिया पहली गर्भ अनोखी
बरसा रत्नों की
‘रे बरसा रत्नों की
स्वर्ग से उतर के करते हैं देव
आरती उतारें हम भी सदैव
आरतिया दूजी जनमत पल की
धार क्षीर जल की,
‘रे धार क्षीर जल की,
स्वर्ग से उतर के करते हैं देव
आरती उतारें हम भी सदैव
आरतिया तीजी त्याग विभूति
सातिशयी केली
‘रे सातिशयी केली
स्वर्ग से उतर के करते हैं देव
आरती उतारें हम भी सदैव
आरतिया चौथी ज्ञान अकेली
धन्य धुन अनूठी
‘रे धन्य धुन अनूठी
स्वर्ग से उतर के करते हैं देव
आरती उतारें हम भी सदैव
आरती अखीरी मोक्ष गमन की
धारा नयन की
‘रे धारा नयन की
स्वर्ग से उतर के करते हैं देव
आरती उतारें हम भी सदैव
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