श्रेयो-नाथ
आरती
आओ ‘री आओ ‘री सखि
आओ ‘री आओ ‘री
थाल सजाओ ‘री
दीप जगाओ ‘री
आओ ‘री आओ ‘री आरती करें
जिन श्रेयस् संकट हरें
आओ ‘री आरती करें
पहली आरती गर्भ कल्याणा ।
बरसा नभ मण माणिक नाना ।।
झोरी नर नारी भरें
जिन श्रेयस् संकट हरें
आरती द्वितिय जन्म कल्याणा ।
मेर क्षीर अभिषेक विधाना ।।
सुर’भी सर झारी धरें
जिन श्रेयस् संकट हरें
आरती तृतिय त्याग कल्याणा ।
कच लुञ्चन दैगम्बर बाना ।।
जा भीतर गहरे उतरें
जिन श्रेयस् संकट हरें
आरती तुरिय ज्ञान कल्याणा ।
धनिक निर्धनिक शरण समाना ।।
धू धू करके करम जरें
जिन श्रेयस् संकट हरें
आरती एक मोक्ष कल्याणा ।
समय मात्र पा चले ठिकाना ।।
सहज निराकुल सौख्य जुड़ें
जिन श्रेयस् संकट हरें
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