==आरती==
आरती उतारो ले दीप, आओ मिल के ।
छोटे-बाबा में, गुरु कुन्द-कुन्द झलके ।।
मनोकामना पूर्ण ! हरतार दुखड़ा ।
निकलंक पूनम शरद् चाँद मुखड़ा ।।
भवि-भागन-वशि आये, दक्षिण से चल के ।
छोटे-बाबा में, गुरु कुन्द-कुन्द झलके ।।१।।
ग्राम ‘सदल-गा’ में अवतार लीनो ।
धन्य मल्लप्पा, माँ श्रीमन्ति कीनो ।।
बचपन से पग अपने, रक्खें सँभल के ।
छोटे-बाबा में, गुरु कुन्द-कुन्द झलके ।।२।।
दिश-भूषण सूरि साक्षि व्रत-ब्रह्मचारी ।
सूरि ज्ञान-सिन्धु साक्षि दीक्षा तुम्हारी ॥
आज सूरि-निर्ग्रन्थ, भगवन्त कल के ।
छोटे-बाबा में, गुरु कुन्द-कुन्द झलके ।।३।।
दीक्षा श्रमण, अर्जिका मॉं बनाईं ।
खोलीं गो-शालाएँ, कविता रचाईं ।।
पर पीड़ा देख बने, नेत्र-स्रोत जल के ।
छोटे-बाबा में, गुरु कुन्द-कुन्द झलके ।।४।।
गुण आप उतने, जितने सितारे ।
देवों के गुरु कहके, दो-शब्द हारे ।।
‘निराकुल’ न पार पारावार बाहु-बल के ।
छोटे-बाबा में, गुरु कुन्द-कुन्द झलके ।।५।।
Sharing is caring!