==आरती==
दैगम्बर निर्ग्रन्थ की
आओ कीजो आ-रति
विद्यासागर सन्त की
दैगम्बर निर्ग्रन्थ की
ग्राम सदलगा जनमे ।
मल्-लप्पा आंगन में ।।
आखर ढ़ाई
हाथ पढ़ाई
लोरी सुन बचपन में ।।
नन्दन मॉं श्री मन्त की
आओ कीजो आ-रति
विद्यासागर सन्त की
दैगम्बर निर्ग्रन्थ की ।।१।।
सूरि देश भूषण से ।
भूषित प्रतिमा धन से ।।
पुण्य कमाई,
पूरब भाई
दीक्षा ज्ञान श्रमण से ।।
छवि कुन्द कुन्द भगवन्त की ।
आओ कीजो आ-रति
विद्यासागर सन्त की
दैगम्बर निर्ग्रन्थ की ।।२।।
गुरुकुल संघ बनाया ।
श्रुत भण्डार बढ़ाया ।।
पीर पराई
आंख भिंजाई
सांझन सु…मरण भाया ।
वर्तमान अरिहन्त की
आओ कीजो आ-रति
विद्यासागर सन्त की
दैगम्बर निर्ग्रन्थ की ।।३।।
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