शीतलनाथ
लघु चालीसा
=दोहा=
सार्थ नाम ‘रिश्ता’ रखे,
ऐसी ही कब बात ।
एक बार प्रभु हाथ में
देखो देकर हाथ ।।
दया बरसात करते तुम ।
नया वर साथ करते तुम ।।
खाली हाथ न लौटाते ।
पन्ने-पन्ने बतलाते ।।१।।
हो तुम कुछ हटके जग में ।
बहती करुणा रग-रग में ।।
होते भक्त आँख मोती ।
देखा आप आँख रोती ।।२।।
मेंढ़क जन्म विमानों में ।
आया लेख पुराणों में ।।
आया लेख पुराणों में ।
नन्दी राज-घरानों में ।।३।।
दया बरसात करते तुम ।
नया वर साथ करते तुम ।।
खाली हाथ न लौटाते ।
पन्ने-पन्ने बतलाते ।।४।।
हो तुम कुछ हटके जग में ।
बहती करुणा रग-रग में ।।
होते भक्त आँख मोती ।
देखा आप आँख रोती ।।५।।
बदली आगी जल धारा ।
अक्षर लेख वज्र द्वारा ।।
अक्षर लेख वज्र द्वारा ।
बदले नाग सुमन माला ।।६।।
दया बरसात करते तुम ।
नया वर साथ करते तुम ।।
खाली हाथ न लौटाते ।
पन्ने-पन्ने बतलाते ।।७।।
हो तुम कुछ हटके जग में ।
बहती करुणा रग-रग में ।।
होते भक्त आँख मोती ।
देखा आप आँख रोती ।।८।।
चन्दन सब बन्धन टूटे ।
जश अभिलेख अमिट लूटे ।।
जश अभिलेख अमिट लूटे ।
अञ्चन भव बन्धन छूटे ।।९।।
स्वामिन् हूँ मैं भी दुखिया ।
अँखिंयाँ बन चालीं दरिया ।।
सहज निरा’कुल कर लो ना ।
अब दुख-दर्द सहन हो ना ।।१०।।
=दोहा=
नाम न यूँ ही चल पड़े,
देखा जाता काम ।
छू पद रज, छू दाह-भौ,
सार्थक शीतल नाम ।।
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