पूजन आचार्य श्री समय सागर जी
मुनि श्री निराकुल सागर जी द्वारा विरचित
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।
चेतन मूलाचार हैं ।
सम दर्शन आधार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
गुण अनन्त भण्डार हैं ।
परम दीक्ष अवतार हैं ।
कलिजुग तारण हार हैं ।।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।स्थापना।।
रत्नत्रय सिर मौर हैं ।
भीतर-बाहर गौर हैं ।
सहज निराकुल और हैं ।
चेतन मूलाचार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
दृग जल चरण धुलाओ ‘री ।
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।जलं।।
निष्कलंक शश पून हैं ।
जग जल भिन्न प्रसून हैं ।
माथ दीप्ति रवि दून हैं ।
चेतन मूलाचार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
घिस चन्दन महकाओ ‘री ।
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।चन्दनं।।
कोकिल मिसरी बोल हैं ।
चरित सुमेर अडोल हैं ।
अपने भांत अमोल हैं ।
चेतन मूलाचार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
अक्षत दाने लाओ ‘री ।
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।अक्षतं।।
दृग नम हृदय विराट हैं ।
कलि वैतरणी घाट हैं ।
व्रत महन्त सम्राट हैं ।
चेतन मूलाचार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
सुर तरु पुष्प मंगाओ ‘री ।
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।पुष्पं।।
शिवपुर स्वर्ग जहाज हैं ।
श्रमण संघ सरताज हैं ।
गैय्या गुपाल आज हैं ।
चेतन मूलाचार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
छप्पन भोग लगाओ ‘री ।
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।नैवेद्यं।।
धर्म क्षमाद निधान हैं ।
जैन समाज गुमान हैं ।
वर्तमान भगवान् हैं ।
चेतन मूलाचार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
अनबुझ ज्योति जगाओ ‘री ।
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।दीपं।।
सर अध्यातम हंस हैं ।
मिथ्या-मत विध्वंस हैं ।
सभ सौधर्म प्रशंस हैं ।
चेतन मूलाचार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
गंध कपूर उड़ाओ ‘री ।
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।धूपं।।
कुन्द कुन्द लघु नन्द हैं ।
ज्ञान प्रसून सुगंध हैं ।
प्रतिकृति विद्या सिंध हैं ।
चेतन मूलाचार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
श्री फल भेल उठाओ ‘री ।
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।फलं।।
दर्श मात्र चित्त चोर हैं ।
रखते पंखी मोर हैं ।
तर करुणा दृग कोर हैं ।
चेतन मूलाचार हैं ।
जैनाचार्य समय सागर जी,
समय सार के सार हैं ।।
आठों द्रव्य चढ़ाओ ‘री ।
आओ ‘री
सखि, आओ ‘री ।
पूजन आन रचाओ ‘री ।।अर्घ्यं।।
।।दोहा।।
मैल कटे गुरु मेल से,
खेल खेल में मीत ।
सिर्फ आश विश्वास ले,
आना सिर्फ विनीत ।।
।। जयमाला।।
समय सागर जी की गाथा,
चलो हम मिल के गाते हैं ।।
अंधेरा देर न टिक पाता ।
सन्त जब नजर उठाते हैं ।।
और ना शरद पूर्ण चन्दा,
बाद विद्या सागर ये ही ।
नन्त फिर श्री मन्ती नन्दा,
वीर फिर विद्याधर ये ही ।।
विरति शान्ता स्वर्णा बहिनें,
पिता मल्लप्पा जी जिनके ।
ग्राम सदलगा जन्म उत्सव,
भाग चमके दर्शक जन के ।।
भाग में राज-योग इसके,
निमित ज्ञानी बतलाते हैं ।।
समय सागर जी की गाथा,
चलो हम मिल के गाते हैं ।।१।।
इन्हें भैय्या विद्याधर ने,
मन्त्र नवकार सिखाया है ।
सार भव मानव इक संयम,
मुक्ति का मार्ग दिखाया है ।।
हो चले ले दीपक आगे,
राह दिव शिव आसाँ कीनी ।।
धन्य माँ पिता बहिन भाई,
मोह माया ठुकरा दीनी ।।
जानता बच्चा बच्चा है,
स्वार्थ के रिश्ते नाते हैं ।।
समय सागर जी की गाथा,
चलो हम मिल के गाते हैं ।।२।।
गये क्या महावीर जी तुम,
लौट घर वापिस ना आये ।
सात प्रतिमा ले गुरु जी से,
ब्रह्मचारी जी कहलाये ।।
शुक्ल वह मार्ग शीर्ष धन-धन,
आपने ली क्षुल्लक दीक्षा ।
ज्ञान गुरुकुल प्रवेश पाके,
सहज उत्तीर्ण दूज कक्षा ।।
समय सागर दे नाम इन्हें,
पूज्य गुरुवर हरषाते है ।।
समय सागर जी की गाथा,
चलो हम मिल के गाते हैं ।।३।।
सन् अठत्तर दिन दीवाली,
सिद्ध भू नैनागिर न्यारी ।
शिष्य गुरु ज्ञान साक्ष तुमने,
प्रथम एलक दीक्षा धारी ।।
मार्च सन् अस्सी दिवस छटे,
सातिशय पुण्य उदय आया ।
द्रोण गिर मुनि दीक्षा पाई,
स्वर्ग में भी उत्सव छाया ।।
आप अब ज्ञान ध्यान फिर फिर,
जाग दिन रात बिताते हैं ।।
समय सागर जी की गाथा,
चलो हम मिल के गाते हैं ।।४।।
आप पलकें पल को खोलें,
मूँद फिर भीतर खो जाते ।
देख गुरु विद्या सजग तुम्हें,
पीठ निर्यापक बिठलाते ।।
शान्ति, वीराद, ज्ञान विद्या,
समय आचरज परिपाटी ।।
सुख ‘निराकुल’ कल इनका ही ।
देव लौकान्त जन्म थाती ।।
अगम सुर गुरु सन्तन महिमा,
मौन ले शीष झुकाते हैं ।।
समय सागर जी की गाथा,
चलो हम मिल के गाते हैं ।।५।।
=दोहा=
बस भीतर कुछ भींग के,
आना श्री गुरु द्वार ।
निस्वारथ श्री गुरु कृपा,
बरसे छप्पर फाड़ ।।
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