सवाल
आचार्य भगवन् !
आपने बिनौली के समय,
मेंहदी की बात आते ही,
जल्द ही अपने दोनों हाथ आगे कर दिये थे
क्या आपको मेहदी अच्छी लगती थी
यदि हाँ,
तो फिर दीक्षा के बाद,
कभी मेंहदी की याद नहीं आई ?
या आती रहती है,
मेंहदी आपके सपनों में ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
कौन नहीं चाहता
चूनर रंग
लेकिन कोई रंगने वाला भी तो हो
जनम-जनम से
करने वाले तो मिले मैली
जिन्होंने ‘मै’ यानि ‘कि ‘अहम् की पुट ‘ली’
सो कोई चाहिये था वो मिले,
जिसने अहम् की पुर-पोटली
यम को दी हो
सो घर में कई बार लगाई,
मेंहदी सुनाई देती थी,
पर जाने…
दीक्षा के समय ‘मैं…दी’ सुनाई दी
बस मैंने हाथ बढ़ा दिये
और यूँ
मैली ‘चूनर’
रंग मैंने ली
अहम् की पुट-पोटली उतार
अर्हम् की टोली में हो शामिल इस बार
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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