सवाल
आचार्य भगवन् !
वन्दना के समय,
आपका पीछी रूप बाँसुरी लिये,
अंगुली संचालन
भक्ति-पाठ रूप गुंजार,
और मुखप्-प्रसाद देखते ही बनता है
क्या कोई विशेष राज है इसमें ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
देखो,
अचरज दे…खो
गो…पाल जो हूँ
पीछी बाँसुरी तो लगेगी ही
बेसुरी भले
विरले,
भगवत् भक्ति-पाठ जो पढ़ रहा हूँ
वाणी गुंजार सी तो फबेगी ही
चाह ले
मुख-प्रासाद
राह ले
रख आपा
लिया पा
पाने उनकी कृपा
मुखप्-प्रसाद तो जरुरी ही
साथ-साथ श्रद्धा-सबूरी भी
दूरी कुछ ज्यादा नहीं
पर मग…
गहल मृग
पास ही कस्तूरी ‘जी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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