सवाल
आचार्य भगवन् !
सामुद्रिक शास्त्र प्रकाश डालते है
‘कि
जो बड़े-बड़े युग-पुरुषों को,
अपने जीवन के अन्तिम पड़ाव पर,
नसीब होती है
वो गज-रेखा,
आपके पैरों में बचपन से ही है,
क्या ये बात सही है स्वामिन् !
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
बचपन से
अपने पैरों मैं
लगा हुआ रज तो देखा है
गज जो रेखा है
वो तो आपके ही चश्मे से दिखाई देती होगी
क्यों ?
क्योंकि,
एक वित्ते भर
वो भी पूरा नहीं,
‘पाँव’
उसमें गज रेखा ?
हाँ…
मजाक मत उड़ाईये
पता ? होता कितना बड़ा ग…ज
अक्षर पलटते ‘कि ‘ ज…ग समाता
और कुछ भी कहते रहते हैं,
आप लोग तो,
युग पुरुष की बात करते हैं
पुरुष-युग में
मैंने तो, मिथ्यात्व के साथ छुई वसुधा
अष्टम वसुधा कभी छुऊँ
है अभी तो यही दुआ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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