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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -59

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
आपने अपना प्रथम मुनि शिष्य,
बड़े भाई अनन्त जी के लिए न बनाकर,
छोटे भाई शान्ति जी के लिए,
समय सागर जी नाम रखकर बनाया ?
सो क्या राज था,
‘कि शान्ति जी से बड़े,
अनंत जी के लिए योग सागर जी नाम देकर आपने उन्हें बाद में मुनि दीक्षित किया
आप भी अद्‌भुत हो
अचिन्त्य महिमा है आपकी,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
संज्ञा अनन्त अ‌द्भुत कीमत रखती
कमी-बेशी उसे
जनम से
न खली,
न खलेगी,
न खलती
चूँकि स्नेह और खल का,
तीन छह का नाता
और भाई अनन्त ने,
ढ़ाई आखर खूद-बखूब पढ़ा था
दूसरे विद्यालय की,
दूसरी कक्षा में,
मेरा,
फिर उसी का दाखिला हुआ था
भाई शान्ति,
हम दोनों से छोटा था
बड़ा ही गंभीर था,
अनोखा था, उसका चारित्र
सो,
लेकर उजियारा… चारित्र ग्रन्थ
मैनें भाई अनन्त से पहले,
भाई शान्ति को बनाया निर्ग्रन्थ
चूँकि तीर्थंकर शांतिनाथ से ही अक्षुण्ण
चली आ रही माहन्त, धारा
यानि ‘कि परिपाटी
माटी से सुराही बनने की
सो ये द्राविड़ प्राणायाम सारा,
सच्ची सु…राही बनने ही
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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