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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -54

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
सुनते हैं,
आप बड़े-बुजुर्गों, गुरु की बात,
किसी भी तरह की ना-कुकर किये बग़ैर,
जल्दी ही मान लेते थे,
आखिर क्यूँ गुरुजी,
क्या आपका मन
अपनी-अपनी नहीं चलाता था ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
हाथ में छड़ी जो रहती है
जादू जानते बुजुर्ग
जिनके तजुर्बे
बनाते ‘जल…दही’
‘जल्द ही’ उनकी बात मानने में
रहता फायदा
पर जाना बाक़ायदा
नकाब उतार रखना
खूब जानते चेहरा पढ़ना
दूसरी कक्षा में जो पढ़े होते हैं
तभी तो कद में कुछ बड़े होते हैं
वजह यही
‘कि भारत विश्व-गुरु कहलाया
ए देव-पुरु !
सिर पर
‘हमारे’
गुरु की बनी रहे सदैव छत्र छाया
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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