सवाल
आचार्य भगवन् !
जिसमें आप ‘हाफ पेन्ट’ पहने हैं
बस्ते को कंधे पर टागे हैं
वो आपका फोटू बड़ा फबता है
तो भगवन् ! प्रश्न मेरा यह है,
‘कि आज बच्चे का रंग न उड़ जाये,
सो जन्म से ही फुल पेन्ट, शर्ट पहनाते हैं
और बड़े होते-होते, बच्चे तन से ही नहीं,
मन से भी काले हो जाते हैं
आपकी कंचन की काया,
दुग्ध सी धवल देह का राज क्या है
आपकी माँ ने क्या पिलाया था
क्या खिलाया था, कृपया बतलाईये ना
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
जो माँ खाती-पीती थी
वही माँ मुझको भी, खिलाती पिलाती थी
गम्म खाती थी माँ,
गुस्से को पी जाती थी माँ
उसने कभी ‘भी’ को न भुलाया
सपने कभी ‘ही’ को न बुलाया
हम चीजें बेक’री खाते हैं
विष..किट मुँह लगाते हैं
पानी विष ले’री पीते हैं
हमारे कण्ठ ‘पाप-सी’ तीते हैं
और बहु-चर्चित ही,
“जैसा खाये अन
वैसा होय मन,
जैसा पीवे पानी
वैसी होवे वाणी”
सो जानवी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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