सवाल
आचार्य भगवन् !
फकीर में और भिखारी में क्या अन्तर है
नमोऽस्तु भगवन्
नमोऽस्तु भगवन्
नमोऽस्तु भगवन्
जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
जमीन आसमान का अन्तर है
फकीर और भिखारी में
फकीर फाका तो रख लेगा
किन्तु परन्तु जीभ लपलपा,
लार टपका,
खड़ा खड़ा पूंछ न हिलायेगा
फकीर ने औरों का
औरों को लौटा दिया होता है
और तो और अपना भी
औरों पे लुटा दिया होता है
सुना ही नहीं,
देखा भी होगा
हाथ मलते
और सिर धुनते माखी के लिये
लेकिन भौंरे के बारे में
ऐसा सुनने देखने का कोई
अभिलेखा भी ना होगा
खट-पट भले,
तमेरे की खट-खट न खले
बार बार उड़ाने पर भी
उड़-उड़कर आ जाया करता है कबूतर
पर मजाल है किसी की,
‘कि शेर के गले में
पट्टा पिना पाया हो
हाँ.. हाँ.. कहो
भले सर्कस का हो
लोहा लेने की बस बातें हैं,
रखा-रखा भी जंग खा जाता है लोह
सोना दूसरा,
कीचड़ में भले पड़ा हो,
पर पढ़ा कक्षा दूसरी,
जंग कहीं से भी सन्धि न पा पाई
होने को संध्या आई
जमीन आसमान का अन्तर है
फकीर और भिखारी में
काश कह पाऊँ
भिखारी और, ‘फकीर मैं’
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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