सवाल
आचार्य भगवन् !
आपने प्रतिभामण्डल की बहनों के लिये
सफेद रंग की साड़ी दी
माना सभी दीदिंयाँ पहिनतीं हैं
सफेद रंग की साड़िंयाँ
पर ये तो बतलाइये
नीला और हरा पट्टा क्यों दिया है
और भी तो इतने रंग हैं
सुनते हैं
मदर-टेरेसा ने
सेविकाओं की ही ड्रेस
स्वयंसेविका बनने पर चुनी थी
भारत में आकर के
सो उसमें भी नीले रंग का पट्टा था
कुछ कुछ सोच
आपकी भी यही है क्या ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
मुझे अपनी बच्चिंयों को
न मदर के जैसा बनाना है
और न ही मदर टेरेसा
मुझे तो मेरी बच्चिंयों का मद रिसे
ऐसा बनाना है
सो पंच परमेष्ठी के प्रतीक स्वरूप
पंच रंग वाली साड़ी दी है,
सार्थ नाम ‘सारी’ दी है
सॉरी नहीं कह रहा हूँ
वो तो आप लोगों को
कहना पड़ता है बार-बार
और यदि
आप पूछते ही है
‘के पाँच रंग कैसे हैं
तो सुनिये
सारी की सारी साड़ी सफेद रंग की है
जो सिद्धों सी धवलता
पारदर्शिता जीवन में झलके
इसलिए है
मैंने अपनी बच्ची को
ज्ञान दान में संलग्न किया है
सो किसी और कलर का पेन हो
या न हो
लेकिन शिक्षकों के पास
लाल रंग का पेन तो
रहता ही रहता है
अत्र-तत्र
बहनों की साड़िंयो में
लाल रंग की रेखाएं
आप आप ही बतलाएं
सो रंग यह
जो अरिहंतों का है,
वह शौर्य का प्रतीक है
और माता बहिनों को
गम खाने में
तथा बने जितना
उतना खिलाने में
खूब आनन्द जो आता है
सो सब्जिंयाँ,
दालें
गिरती ही रहती है
साड़िंयो पर
सो पीला रंग
आचार्य भगवन्तों का
ज्ञान का, विद्या का प्रतीक है
एवं हरा रंग
‘के प्रकृति से जुड़ी रहें बहनें,
सो उपाध्याय की स्मृति दिलाने
के लिए है
और नीला रंग
साधु सन्तों सी
सन्तोषी
‘कि बपौती बन सके,
भीतरी ज्योति जग सके,
एतदर्थ रक्खा है,
सो भगवन् से यही प्रार्थना है
‘कि आचार्य ज्ञान सागर शाला
उजाला पा सके
उजाले में आने की
नहीं कह रहा हूँ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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