सवाल
आचार्य भगवन् !
पण्डित दौलत राम जी को
अपनी अनूठी कृति का
नामकरण करते समय
विकल्प तो कई उठे होगे
चूँकि कृति ही अपूर्व है
और सुनते भी है
‘कि ग्रन्थ का नाम ही बतला देता है
‘कि इसके अन्दर क्या है
जैसे रामायण में
राम का चरित्र
तत्वार्थ सूत्र में
तत्व पदार्थों का स्वरूप
समयसार में
आत्मा का सार
लेकिन पण्डित जी ने
ऐसा कोई सार्थक नाम न चुनकर
छहढ़ाला नाम जो रक्खा है
तो कोई न कोई राज की
बात तो होगी जरूर
भगवन्
क्या यह नाम भी सार्थक है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
सार्थ ही नहीं
वाह-वाह नाम भी है
मतलव सार्थवाह नाम है
भुक्ति, मुक्ति रथ का
देखो,
हमने स्वयं अपने शत्रु को
सिर पर चढ़ा सकता है
दुश्मन बगैर मौका दिये,
धोखा खिलाने से
जब बाज न आ रहा हो
प्रहार पे प्रहार करता जा रहा हो,
तो ढ़ाल से अच्छा
कोई मददगार सिद्ध
हो ही नहीं सकता है
और सुनो,
निशाना साधना
बड़ा कठिन रहता है
सो अपने दुश्मन को छकाने का
यह तरीका बड़ा अच्छा है
‘कि शत्रु के द्वारा
किये गये प्रहारों को
नाकामयाब करते जाओ,
पता है
तब बगैर झल्लाये
न रह पायेगा शत्रु
और खो देगा आपा अपना जल्द ही
और हाँ
देखो पण्डित जी साब ने
ढ़ाल छह रक्खीं हैं
चार दिशाओं की चार
एक ऊपर से रक्षक रूप
तथा एक नीचे से रक्षक अनूप
ताकि सभी तरफ से
संगुप्त बनकरके
कछुआ जैसे
भीतर क… छुआ पूछने वाले के लिए
भीतर कछु… आ
लाजवाब जबाब देने वाले बन सकें हम इसलिये कवि कौतुक नाम न रखके
कवि कोविद् नाम रक्खा है
सचमुच छहढ़ाला नाम
बड़ा अच्छा है
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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