सवाल
आचार्य भगवन् !
मात्रा माँ सी हो,
आपने हाईकू में लिखा है
बड़ी अद्भुत खोज है यह
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
कैसी खोज…
बचपन से ही देखता तो आ रहा हूँ रोज
‘के बेमौसम खरबूज,
तरबूज खाने बच्चों के लिये मनमाफिक
रहे तो रहे कब मिल
लोकोक्ति ‘मात्रा माँ सी’
तभी रथ जिह्वा बैठकर
दुनिया की सैर करके लिये
है चली निगल
जन्म के समय के वजन से,
कितने वजनी हो चले हम
खानापूर्ति के लिये ही लिया हमनें
ये ‘मानो’ जनम
कहती माँ हिरण
मत कर हा-हा ही-ही
रण लगता साथ हमारे
होते ही अपना नाम करण
ओ ! मेरे प्यारे छोने,
रहो हमेशा चौकन्ने
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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