सवाल
आचार्य भगवन् !
सुनते हैं
मॉं श्रीमन्ती जी बड़ी अच्छी प्रभाती गातीं थीं
कोई एकाध अच्छी सी सुना दीजिए ना
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
रात खो चली, उठ भी जाओ सुनो
सुबह हो चली, उठ भी जाओ सुनो
छेड़ रही तान चिड़िया
ले रही मुस्कान बगिया
भरता जँभाई दिया
चल दिया लेने निंदिया
सुबह हो चली, उठ भी जाओ सुनो
रात खो चली, उठ भी जाओ सुनो
सुबह हो चली, उठ भी जाओ सुनो
स्वच्छ आसमान देखो
निकला बाल-भान देखो
धकाता सुगंध
ये मन्द-मन्द पवमान देखो
सुबह हो चली, उठ भी जाओ सुनो
रात खो चली, उठ भी जाओ सुनो
सुबह हो चली, उठ भी जाओ सुनो
शंख और मुर-लिंयाँ
बज उठी घण्टिंयाँ
उड़ न जायें तोते
फिरके सोते सोते
लो खोल भी ये अंखिंयॉं
सुबह हो चली, उठ भी जाओ सुनो
रात खो चली, उठ भी जाओ सुनो
सुबह हो चली, उठ भी जाओ सुनो
लीजिए दूसरा भी सुनिए
सो रहे हो
‘के समय अपना खो रहे हो
जागो जागो
भागा तिमिर
जागा मिहिर
ठग किसको रहे हो
जागो जागो
सो रहे हो
‘के समय अपना खो रहे हो
जागो जागो
चिड़िया चहक
बगिया महक
रूबरू
और तुम सपने सजों रहे हो
सो रहे हो
‘के समय अपना खो रहे हो
जागो जागो
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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