सवाल
आचार्य भगवन् !
आप कहते है चिंटिया बड़ी समझदार रहती है
है हम समॅंझधार
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
पर…
विरले आने पर
चिंटिया
बाग-बाग नहीं होती
भाग भाग नहीं रोती
चिंटिया
पर… चले जाने पर
मगर
एक पैर हमारा चोट खा जाता है अगर
तो हम सारा घर
उठा लेते हैं सर-पर
वैसे ज्यादा-कुछ क्या हुआ है
सिर्फ दौड़ना ही तो रफा-दफा हुआ है
चल तो सकते हैं
वो भी,
ऐसा वैसा नहीं
बल खाकर
नॉंच भी हम सकते हैं
वो भी
जैसा-हमेशा नहीं
एक पैर उठाकर
यानि ‘कि बखूब
आईये कहिये
होनहार वाह खूब
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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