सवाल
आचार्य भगवन् !
खूब उठा-पटक करने में लगी है दुनिया,
मेरा मन भी रातों रात,
हाथों हाथ बड़ा आदमी बनने के
सपने देखने में पीछे नहीं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
देखिये,
ध्यान रखिये
‘स’ माने समता ‘पने’ का मान रखिये
स्वाभिमान रखिये
हो चालेंगे पूरे
सपने अधूरे
सो शब्द ये जा करके मन के तलक कान रखिये
हाईकू
भले भाग ले
लिखा जितना भाग
उतना मिलें
हर किसी से कौन कहता है
वन’स ‘मोर’
नटराज बताते हैं
सूज जाते है
बन्दों के नॅंग-नॅंग टूट जाते हैं
यहाँ तक ‘कि प्राण भी कर कूच जाते हैं
तब जा करके बैठ पाते हैं
सुर ताल
ढ़ोलो भले
रात दिन घड़े पे घड़े
ऋत बिना
फूल-फलों से लद
कब झुकती डाल
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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